Book Title: Agam Suttani Satikam Part 03 Sthanang
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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८०६
| سه
४
.
४७
અમારા સંપાદીત ૪૫ આગમોમાં આવતા મૂલ નો અંક તથા તેમાં સમાવિષ્ટ ગાથા क्रम | आगमसूत्र | मूलं | गाथा | क्रम | आगमसूत्र मूलं | गाथा
आचार | ५५२ १४७ २४. | चतुःशरण । ६३ सूत्रकृत
| ७२३ | २५. | आतुरप्रत्याख्यान ७१ ७० स्थान
१०१० १६९ | २६. | महाप्रत्याख्यानं १४२ १४२ समवाय ३८३
२७. भक्तपरिज्ञा १७२ भगवती
१०८७ ११४ । २८. तंदुलवैचारिक १६१ | १३९ ६. | ज्ञाताधर्मकथा २४१ । ५७ | २९. | संस्तारक
१३३ । १३३ उपासक दशा १३ । ३०. | गच्छाचार
१३७ । १३७ अन्तकृद्दशा ६२ । १२ / ३१. | गणिविद्या
८२ | अनुत्तरोपपातिक | १३ | ४ | ३२. | देवेन्द्रस्तव | ३०७ | ३०७ १०. प्रश्नव्याकरण
मरणसमाधि ६६४ ६६४ ११. विपाकश्रुत
निशीष
१४२० १२. औपपातिक ७७
बृहत्कल्प
२१५ | १३.| राजप्रश्निय ८५ | - | ३६. | व्यवहार
२८५ १४. | जीवाभिगम | ३९८ । ९३ | ३७. | दशाश्रुतस्कन्ध ११४ । ५६ | प्रज्ञापना ६२२
जीतकल्प
१०३ | १०३ १६.| सूर्यप्रज्ञप्ति २१४ । १०३ | ३९. | महानिशीथ | १५२८ १७. चन्द्रप्रज्ञप्ति
२१८ १०७ | ४०. आवश्यक
९२ । २१ १८.| जम्बूदीपप्रज्ञप्ति
१३१ ४१. ओघनियुक्ति ११६५ ११६५ | १९. | निरयावलिका
४१. | पिण्डनियुक्ति ७१२ । ७१२ २०. कल्पवतंसिका
४२. दशवैकालिक ५४० | ५१५ २१. पुष्पिता
११
४३. | उत्तराध्ययन १७३१ ।१६४० २२. पुष्पचूलिका
| १ ४४.
नन्दी
.] १६८ । ९३ २३. वण्हिदशा
१ | ४५. | अनुयोगद्वार
| ३५० १४१
४७
| ३४.
२३१
३८.
३६५
नों :- 35d गाथा संध्यानो समावेश मूलं मां 45 °४°१य छे. ते मूल सिवायनी असा गाथा सम४वी ना. मूल शम्न में सभी सूत्र भने गाथा बने भाटे नो सापेको संयुक्त भनुम छे. गाथा ५i०४ संपानीमा सामान्य . घरावती होवाथी तेनो असर આપેલ છે. પણ સૂત્રના વિભાગ દરેક સંપાદકે ભિન્નભિન્ન રીતે કર્યા હોવાથી અમે સૂત્રાંક જુદો પાડતા નથી.
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