Book Title: Agam Sutra Satik 15 Pragnapana UpangSutra 04
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 23
________________ प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्र-१-१/-1-1१३ णओ परिमंडलसंठाणपरिणयावि वट्टसंठाणपरिणयावि तंससंठाणपरिणयावि चउरंससंठाणपरिणयाविआययसंठाणपरिणयावि२३, जे फासओ लुक्खफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि नीलवण्णपरिणयावि लोहियवण्णपरिणयाविहालिद्दवण्णपरिणयावि सुकिल्लवण्णपरिणयाविगंधओ सुभिगंधपरिणयावि दुब्भिगंधपरिणयावि तित्तरसपरिणयावि कडुयरसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अंबिलरसपरिणयावि महुररसपरिणयाविफासओकक्खडफासपरिणयावि मउयफासपरिणयावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफासपरिणयावि सीतफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणयतावि बट्टसंठाणपरिणयावि तंससंठाणपरिणयावि चउरंससंठाणप० आययसंठाणप० २३, १८४/ जे संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता ते वग्णओ कालवण्णपरिणतावि नीलवण्णपरिणयावि लोहियवण्णपरिणयावि हालिद्दवण्णपरिणयावि सुक्किलवण्णपरिणयावि गंधओ सुब्भिगंधपरिणयावि दुन्भिगंधपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणयावि कडुयरसपरिणयावि कसायरसपरिणयाविअंबिलरसपरिणयाविमहुररसपरिणयाविफासओ कक्खडफासपरिणयावि मउयफासपरिणयावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफासपरिणयावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि निद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि२०, जेसंठाणओवट्टसंठाणपरिणताते वण्णओ कालवण्णपरिणयाविनीलवण्णपरिण-यावि लोहियवण्णपरिणयावि हालिद्दवण्णपरिणयावि सुकिल्लवण्णपरिणयावि गंधओ सुब्भिगंधपरिणयावि दुब्भिगंधपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणतावि कडुयरसपरिणतावि कसायरसपरिणतावि अंबिरसपरिणयाविमहुररसपरिणतावि फासओ कक्खडफासपरिणतावि मउयफासपरिणयावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफसपरिणयावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि निद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि २०, जे संठाणओतंससंठाणपरिणताते वण्णओकालवण्णपरिणयाविनीलवण्णपरिणयावि लोहियवण्णपरिणयावि हालिद्दवण्णपरिणयावि सुक्किालवण्णपरिणयावि गंधओ सुभिगंधपरिणयावि दुब्मिगंधपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणयावि कडुयरसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अंबिलरसपरिणयावि महुररसपरिणयावि फासओ कक्खडफासपरिणयावि मउयफासपरिणयाविगुरुयफासपरिणयाविलहुयफासपरिणयाविसीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि निद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि २०, जे संठाणओ चउरंससंठाणपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि नीलवण्णपरिणतावि लोहियवण्णपरिणतावि हालिद्दवण्णपरिणयावि सुकिल्लवण्णपरिणयावि गंधओ सुब्मिगंधपरिणयावि दुभिगंधपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणयावि कडुयरसपरिणयावि कसायरसपरिणयाविअंबिलरसपरिणयावमहुररसपरिणयावि फासओ कक्खडफासपरिणतावि मउयफासपरिणतावि गुरुयफासपरिणतावि लहुयफासपरिणतावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि निद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावी २०, जे संठाणओ आयतसंठाणपरिणताते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि नीलवण. Jain Education International For Private & Personal Use Only ____www.jainelibrary.org

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