Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 Author(s): Jinendravijay Gani Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 6
________________ संपादकीय निवेदन घणा मुनिवरो तैयार थशे अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमां थइ शकशे. 'ज्ञानधनाः साधवः' 'शास्त्रचक्षुषः साधवः' अ विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम सूत्रोनु श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे. अने आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छे. प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स (ब्यावर) ना व्यवस्थापक श्री छगनलालभाई जे खंत अने उत्साह बताव्या के तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्यां छे. चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे. ओ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजव अजवालनारो बने अने जिनवाणीनी आ उपासनाभक्तिमा भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु तेनो भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामा उजमाल बनीओ एज मारा अंतरनी शुभ अभिलाषा छे. वीर सं० 2502 वि० सं० 2032 हालारदेशोद्धारक ] ज्येष्ठ वद 5 बुधवार कविरत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराजानो ता. 16-6-76 भाराधना भवन एस. के. बोले रोड - चरणसेवक दादर मुबइ-२८ पं० जिनेन्द्र विजय गणीPage Navigation
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