Book Title: Agam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 8
________________ हृदर्यापण TOGADGOGro... महामनस्वी महायशस्वी, महानता उर में घरते हैं। रामचन्द्र सूरि की कीर्ति को, जग अनुगुंजित करते हैं।। जिन शासन की उज्ज्वल परम्परा में सूरि पद अभिधान को धरते हैं। जिनकी पावन शरणागति पाकर __राग-द्वेष श्रम मिटते हैं।। पुण्यवंत गुणवंत सूरीश्वर, क्रान्ति-शान्ति के पुंज पुनीत । ज्ञान-ध्यान की अतुल प्रथा से, शोधित जीवन देता नवनीत ।। अध्यात्म मार्ग के अनुपम साधक चमक रहे ज्यों नथ में चंद । बसते हैं जन-जन के मन में ___ जैसे पुष्प में बसे सुगंध ।। शोध की यह पुष्प पंखुड़ी, कीर्ति सम्राट के चरणे धरती हूँ। तुझ आशीष से जो कार्य हुआ, तुझको ही अर्पित करती हूँ ।। सेसे परमोच्च योगी, पुण्य प्रधावी, आदर्श संयम साधक पूज्य आचार्य श्री कीर्तियश सूरीश्वरजी म.सा. के पादारविन्द में सादर-साधार समर्पित... Gora Gora Demo .. ..

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