Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 28
________________ 00%事 先事$5% %%%%% मिश दसवेयालिय (तइयं मूलसुत) बिइया चूलिया [17) 历历明明听听听听听听听听听听听2C C%劣纲听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听FM 550. अज्ज याहं गणी होतो भावियप्पा बहुस्सुओ। जइ हरमंतो परियाए सामण्णे जिणदेसिए॥९॥ 551. देवलोगसमाणो उ परियाओ महेसिणं / रयाणं, अरयाणं च महानिरयसालिसो // 10 // 552. अमरोवमं जाणिय सोक्खमुत्तमं रयाण परियाए, तहाऽरयाणं / निरओवमं जाणिय दुक्खमुत्तमं रमेज्ज तम्हा परियाए पंडिए ||11|| 553. धम्मओ भट्ट सिरिओ ववेयं जन्नग्गि विज्झायमिवऽप्यतेयं / हीलंति णं दुविहियं कुसीला दाढुद्धियं घोरविसं व नागं / / 12 / / 554. इहेवऽधम्मो अयसो अकित्ती दुन्नामधेज्जं च पिहुज्जणम्मि। चुयस्स धम्माओ अहम्मसेविणो संभिन्नवित्तस्स य हेटुओ गई / / 13 / / 555. भुंजित्तु भोगाइं पसज्झ चेयसा तहाविहं कट्ट असंजमं बहुं / गइं च गच्छे अणभिज्झियं दुह, बोही य से नो सुलभा पुणो पुणो / / 14 / / 556. इमस्स ता नेरइयस्स जंतुणो दुहोवणीयस्स किलेसवत्तिणो। पलिओवमं झिज्जइ सागरोवमं किमंग ! पुण मज्झ इमं मणोदुहं ? ||15|| 557. न मे चिरं दुक्खमिणं भविस्सई असासया भोगपिवास जंतुणो / न चे सरीरेण इमेणऽवेस्सई अवेस्सई जीवियपज्जवेण मे / / 16 / / 558. जस्सेवमप्पा उ हवेज निच्छिओ चएज्ज देहं, न उ धम्मसासणं / तं तारिसं नो पयलेति इंदिया उवेतवाया व सुदंसणं गिरिं // 17 // 559. इच्चेव संपस्सिय बुद्धिमं नरो आयं उवायं विविहं वियाणिया। काएण वाया अदु माणसेणं तिगुत्तिगुत्तो जिणवयणमहिढेजासि ॥१८॥त्ति बेमि / / / / रइवक्कचूला नाम चूला पढमा समत्ता / / / / एक्कारसमं रइवक्कऽज्झयणं समत्तं ||11|| 12 बिझ्या चूलिया चूला बारसमं अज्झयणं *** 560. चूलियं तु पवक्खामि सुयं केवलिभासियं / जं सुणेत्तु सपुण्णाणं धम्मे उप्पज्जई मई // 1 // 561. अणुसोयपट्ठिए बहुजणम्मि पडिसोयलद्धलक्खेणं / पडिसोयमेव अप्पा दायव्वो होउकामेणं / / 2 / / 562. अणुसोयसुहो लोगो पडिसोओ आसवो सुविहियाणं / अणुसोओ संसारो, पडिसोओ तस्स उत्तारो ||3|| 563. तम्हा आयारपरक्कमेण संवरसमाहिबहुलेणं / चरिया गुणा य नियमा य होति साहूण दट्ठव्वा ||4|| 564. अणिएयवासो समुयाणचरिया अण्णायउंछं पइरिक्कया य / अप्पोवही कलहविवज्जणा य विहारचरिया इसिणं पसत्था // 5 / / 565. आइण्ण-ओमाणविवज्जणा य उस्सन्नदिट्ठाहड भत्त-पाणे / संसट्ठकप्पेण चरेज्ज भिक्खू तज्जायसंसट्ठ जई जएज्जा // 6 / / 566. अमज्ज-मसासि अमच्छरीया अभिक्खणं निव्विगईगया य / अभिक्खणं काउस्सगकारी सज्झायजोगे SO明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听G गिहिणो वेयावडियं न कुज्जा अभिवायणं वंदण पूयणं वा / असंकिलिटेहि समं वसेज्जा मुणी चरित्तस्स जओ न हाणी // 9 // 569. न या लभेज्जा निउणं सहायं गुणाहियं वा गुणओ समं वा / एक्को वि पावाई विवज्जयंतो विहरेज कामेसु असज्जमाणो ||10|| संवच्छरं वा वि परं पमाणं बीयं च वासं न तहिं वसेज्जा / सुत्तस्स मग्गेण चरेज्ज भिक्खू सुत्तस्स अत्थो जह आणवेइ // 11|| 571. जो पुव्वरत्तावररत्तकाले संपेहई अप्पगमप्पएणं / किं मे कडं ? किं च मे किच्चसेसं ? किं सक्कणिज्ज न समायरामि ||12 // 572. किं मे परो पासइ ? किं व अप्पा ? / किं वाहं खलियं न विवज्जयामि / इच्चेव सम्म अणुपासमाणो अणागयं नो पडिबंध कुज्जा॥१३॥ 573. जत्थेव पासे कइ दुप्पउत्तं कारण वाया अदु माणसेणं / तत्थेव धीरो पडिसाहरेज्जा आइण्णो खिप्पमिव क्खलीणं / / 14 / / 574. जस्सेरिसा जोग जिइंदियस्स धिईमओ सप्पुरिसस्स निच्चं / तमाहु लोए पडिबुद्धजीवी सो जीवई संजमजीविएण // 15 / / 575. अप्पा खलु सययं रक्खियव्वो सव्विदिएहिं सुसमाहिएहिं / अरक्खिओ जाइपहं उवेई सुरक्खिओ सव्वदुहाण मुच्चइ ||१६||त्ति बेमि / / || बीया चूलिया चूला समत्ता // // बारसमं अज्झयणं समत्तं // 12 // // दसवेयालियं समत्तं // hindAEROINCOPony On Education International_2010_03 www.jainelibrary.com MO505555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१६३९555444NEEEEEEEEEEEEEENE NEARNERIFICE

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