Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 39
________________ KORO5555555555555 (४१) पिंडनिजुत्ति [३०] 55555555555555FOXOY TOEIC%乐玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明5CM एसणा उतं तत्थ जोएज्जा ॥७६।।-७७९२) भावेसणा उ तिविहा गवेसगहणेसणा उ बोद्धव्वा गासेसणा उ कमसो पन्नत्ता वीयरागेहिं॥७७||-७७९३) अगविट्ठस्स उ गहणं न होइ न य अगहियस्स परिभोगो एसणतिगस्स एसा नायव्वा आणुपुव्वी उ ॥७८॥-७८९४) नामं ठवणा दविए भावंमि वे य गवेसणा मुणेयव्वा दव्वंमि कुरंगगया उग्गमउप्पायणा भावे ।।७९||-७९९५) जियसुत्तदेविचित्तसभपविसणं कणगपिट्ठपासणया दोहलदुब्बलपुच्छा कहणं आणा य पुरिसाणं ।।८०-८० ९६) सीवन्निसरिसमोयगकर ठवणं सीवन्निरुक्खहेढेसु आगमण कुरंगाणं पसत्थ अपसत्थ उवमा उ॥८१||-८१ ९७) विइयमेयं कुरंगाणं पसत्थ अपसत्थ उवमा उ ॥८१||-८१ पुरावि वाया वायंता न उणं पुंजकपुंजका ।।८२।।-८२ ९८) हत्थिग्गहणं गिम्हे अरहट्टेहिं भरणं च सरसीणं अच्चुदएण नलवणा आ अहि रुढा गयकुलागमणं ॥८३||-८३९९) विइयमेयं गजकुलाणं जया रोहंति नलवणा अन्नयावि झरंति हदा झरा न य एगट्ठियाइ एयाणि १००) उग्गम उग्गोवण मग्गणा य एगट्ठियाइ एयाणि नामं ठवणा दविए भावंमि य उग्गहो होइ ।।८५||-८५ १०१) दव्वंमि लड्डगाई भावे तिविहोग्गमो मुणेयव्वो दंसणनाणचरित्ते चरिउग्गमेणेत्थ अहिगारो॥८६||-८६१०२) जोइसतणोसहीणं मेहरिणकराणमुग्गमो दव्वे सो पुण जत्तो य जया जहा य दव्वुग्गमो वच्चो १०३) वासहरा अनुजत्ता अत्थाणी जोग्ग किड्डुकाले य घडगसरावेसु कया उ मोयगा लड्डगपयिस्स ॥८८= ८८ १०४) जोग्ग अजिण्ण मारुय निसग तिसमुत्थ तो सुइसमुत्थो आहारुग्गमचिंता असुइत्ति दुहा मलप्पभवो ॥८९||-८९ १०५) तस्सेवं वेरग्गुग्गमेण सम्मत्तनाणचरणाणं जगवं कमुग्गमो वा केवलनाणुग्गमो जाओ॥९०||-९० १०६) दंसणनाणप्पभवं चरणं सुद्धेसु तेसुतस्सुद्धी चरणेण कम्मसुद्धी उग्गमसमुद्धीइ चरणसुद्धी॥९१।।-९१ १०७) आहाकम्मुद्देसिय पूईकम्मे य मीसजाए य ठवणा पाहुडियाए पाओअर कीय पामिच्चे ॥९२||-९२ १०८) परियट्टिए अभिहडे उब्भिन्ने मालोहडे इय अच्छिज्जे अनिसिढे अज्झोयरए य सोलसमे ॥९३||-९३ १०९) आहाकम्मियनामा एगट्ठा कस्स वावि किं वावि परपक्खे य सपक्खे चउरो गहणे य आणाई ॥९४।।-९४११०) आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य पडिसेवण पडिसुणणा संवासऽणुमोयणा चेव ॥९५||-९५ १११) धणुजुयकायभराणं कुडुंबरज्जधुरमाइयाणं च खंधाई हिययं चि मि य दव्वाहा अंतए धणुणो ॥९६।।-९६ ११२) ओरालसरीराणं उद्दवण तिवायणं च जस्सट्ठा मणमाहित्ता कीरइ आहाकम्मं तयं बेति ॥९७।।-९७ ११३) ओरालग्गहणेणं तिरिक्खमणुयाऽहवा सुहुमवज्जा उद्दवणं पुण जाणसु अइवायविवज्जियं पीडं ॥१६|| भा. १६ ११४) कायवइमणो तिन्नि उ अहवा देहाउइंदियप्पाणा सामित्तावायाणे होइ तिवाओ य करणेसु य ॥१७|| भा.॥ १७११५) हिययंमि समाहेउं एगमणेगं च गाहगं जो उ वहणं करेइ दाया कायेण तमाहकम्मंति॥१८|| भा.-१८११६) जं दव्वं उदगाइसु छूढमहे वयइ जं च भारेणं सीईए रज्जुएण व ओयरणं दव्वऽहेकम्मं ।।९८-९८ ११७) संजमठाणाणं कंडगाण लेसाठिईविसेसाणं भावं अहे करेई तम्हा तं भावऽहेकम्मं ॥९९६-९९ ११८) तत्थाणंता उ चरित्तपज्जवा होति संजमट्ठाणं संखझ्याणि उ ताणि कंडगं होइ नायव्वं ॥१९||भा. १९११९) संखाईयाणि उ कंडगाणि छट्ठाणगं विणिद्दिढ़ छट्ठाणा उ असंखा संजमसेडी मुणयेव्वा ||२०|| भा. २०१२०) किण्हाइया उलेसा उक्कोसविसुद्धिठिइविसेसाओ एएसि विसुद्धाणं अप्पं तग्गाहगो कुणइ||२१||भा. २१ १२१) भावोवयारमाहेउमप्पगे किंचिनूणचरणग्यो आहाकम्मग्गाही अहो अहो नेइ अप्पाणं ।।१००||-१००१२२) बंधइ अहे भवाऊ पकरेइ अहोकुमाई कम्माई धणकरणं तिव्वेण उ भावेण चओ उवचओ य ॥१०१||-१०१ १२३) तेसि गुरुणमुदएण अप्पगं दुग्गईऍ पवडतं न चइए विधारेउं अहरगतिं निति कम्माइं ॥१०२।।-१०२१२४) अट्ठाएँ अणट्ठाए छक्कायपमद्दणं तु जो कुणइ अनियाए य नियाए आयाहम्मं तयं बेति॥१०३-१०३ १२५) जाणंतु अजाणतो तहेव उ नि द्दिसिय ओहओ वावि जाणगमजाणगे वा वहेइ अनिया निया एसा ।।२२||भा. २२ १२६) दव्वाया खलु काया भावाया तिन्नि नाणमाईणि परपाणपाडणर ओ चरणायं अप्पणो हणइ ॥१०४||-१०४ १२७) निच्छयनयस्स चरणाय विधाए नाणदंसणवहोऽवि ववहारस्स उ चरणे यंमि भयणा उ सेसाणं ।।१०५||-१०५ १२८) दव्वंमि अत्तकम्मं जंजो उममायए तगं दव्वं भावे असुहपरिणओ परकम्मं अत्तणो कुणइ॥१०६।।-१०६१२९) आहाकम्मपरिणओ फासुयमवि संकिलिट्ठपरिणामो आइयमाणो बज्झइ तं जाणसु अत्तकम्मति ॥१०७॥-१०७१३०) परकम्मअम त्तकम्मीकरेइ तं जो उ गिहिउं भुंजे तत्थ भवे परकिरिया कहं नु अन्नत्थं संकमई Merry 5555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १६०६45555555555555$ $OOR GO听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听

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