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आगम सूत्र ३६, छेदसूत्र-३, 'व्यवहार'
उद्देशक/सूत्र सूत्र - २८९
वैयावच्च दश तरह से बताई है । वो इस प्रकार - आचार्य की, उपाध्याय की, स्थविर की, शिष्य की, ग्लान की, तपस्वी की, साधर्मिक की, कुल की, गण की, साधु संघ की । (यह आचार्य, उपाध्याय यावत् संघ की वैयावच्च करनेवाले साधु महा निर्जरा-महालाभ पाते हैं ।)
उद्देशक-१०-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
(३६) व्यवहार-छेदसूत्र-३ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(व्यवहार)” आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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