Book Title: Agam 36 Chhed  03 Vyavahara Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ (३७) ववहार छेयसुत्तं (४) उ. ५,६ कप्पड़ से तेसिं अंतिए आलोएत्तए, नत्थि या इत्थ केइ आलोयणारिहे एवं पहं कप्पइ अन्नमन्नस्स अंतिए आलोएत्तए '७५ | १९| जे निग्गन्था य निग्न्थीओ संभोइया सिया नो तेसिं कप्पइ अन्नमन्नस्संतिए वेयावडियं करेत्तए, अत्थि या इत्थ केइ वेयावच्चकरे कप्पइ ण्हं तेणं वेयावच्चं करावेत्तए, नत्थि याइ हं इत्थ केइ वेयावच्चकरे एवं ण्हं कप्पइ अन्नमन्नेणं वेयावच्चं करावेत्तए '९० | २० | निग्गन्थं च णं राओ वा वियाले वा दीहपट्टे लूसेज्जा, इत्थी वा पुरिसस्स आमज्जेज्जा पुरिसो वा इत्थीए आमज्जेज्जा, एवं से कप्पर, एवं से चिठ्ठइ, परिहारं च से न पाउणइ, एस कप्पे थेरकप्पियाणं, एवं से नो कप्पइ, एवं से नो चिट्ठइ, परिहारं च पाउणइ, एस कप्पे ज़िणकप्पियाणंति बेमि '१४३ । २१★★ || पंचमो उद्देसो ५ ॥ ★★ भिक्खू य इच्छेज्जा नायविहिं एत्तए, नो से कप्पर थेरे अणापुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, कप्पर से थेरे आपुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, थेरा य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ नायविहिं एत्तए थेरा य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पर नायविहिं एत्तए, जं तत्थ थेरेहिं अविइण्णे नायविहिं एइ से सन्तरा छेए वा परिहारे वा, नो से कप्पर अप्पसुयस्स अप्पागमस्स एगाणियस्स नायविहिं एत्तए, कप्पर से जे जत्थ बहुस्सुए बज्झागमे तेण सद्धिं नायविहिं एत्तए, तत्थ से पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउते भिलिंगसूवे कप्पर से चाउलोदणे पडिग्गाहेत्तए नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिग्गाहेत्तर, तत्थ पु० पु० भिलिंगसुवे पच्छा० चाउ० कप्पर से मिलिं० पडि० नो से कप्पइ चाउ० पडि० तत्थ से पुव्वागमणेणं दोवि पुव्वाउत्ताइं कप्पइ से दोवि पहिग्गाहेत्तळ, तत्थ से पुव्वा० दोवि पच्छा० नो से क० दोवि पडि० जे से तत्थ पुव्वा० पुव्वाउत्ते से कप्पइ पडि० जे से तत्थ पुव्वा० पच्छा० नो से कप्प पडग्गाहित्तए '७२' |१| आयरियउवज्झायस्स गणंसि पंच अइसेसा पं० तं० आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स पाए निगिज्झिय २ पप्फोडेमाणे वा मज्जेमाणे वा नाइक्कमइ, आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स उच्चारं वा पासवणं वा विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा नाइक्कमइ, आयरियउवज्झाए पभू इच्छा वेयावडियं करेज्जा इच्छा नो करेज्जा, आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स (उवरए) एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नाइक्कमइ, आयरियउवज्झाए बाहिं उवस्सस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नाइक्कमइ |२| गणावच्छेइयस्स णं गणंसि दो अइसेसा पं तं०- पणावच्छेइए अंतो उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नाइक्कमइ, गणावच्छेइए बाहिं उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अइक्कमइ ' २६१ | ३| से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा एगवगडाए एगदुवाराए एनिक्खमणपवेसाए नो कप्पइ बहुणं अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अतिथ याइ ण्हं केइ आयरपकप्पधरे नत्थि याइ ण्हं केइ छेए वा परिहारे वा, नत्थि याइ पहं केइ आरारपकप्पधरे सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा |४| से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसणाए नो कप्पर बहूणं अडसुयाणं एगयओ वत्थए, अत्थि याइ ण्हं केइ आयारपकप्पधरे जे तप्पत्तियं रयणि संवसइ नत्थि या इत्थं केइ छेए वा परिहारे वा, नत्थि या इत्थ hs आयारपकप्पधरे जे तप्पत्तियं रयणि संवसइ सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा '२९८ | ५ | से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसणाए नो कप्पइ बहुसुयस्स बज्झागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए, किमंग पुण अप्पसुयस्स अप्पागमस्स भिक्खु | ६| से गामंसि वा जाव संणिवेसंसि वा एगवगडाए एगदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसाए कप्पइ बहुस्सुयस्स बज्झागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए दुहओ कालं भिक्खुभावं डिजागरमाणस्स '३५७ |७| जत्थ एए बहवे इत्थीओ अ पुरिसा अ पण्हायन्ति तत्थ से समणे निग्गंथे अन्नयरंसि अचित्तंसि सोयंसि सुक्कपोग्गले निग्धाएमाणे हत्थकम्मपडिसेवणपत्ते आवज्जइ मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं०, निग्घाएमाणे मेहुणपडिसेवणपत्ते आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारठ्ठाणं अ '३६७२।८। नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंधीण वानिग्गंथिं अणगणाओ आगयं खुयायारं सबलायारं भिन्नायारं संकिलिठ्ठायारचरितं तस्स ठाणस्स अणालोयावेत्ता अडिक्कम वेत्ता अनिन्दावेत्ता अगरहावेत्ता अविउट्टावेत्ता अविसोहावेत्ता अकरणाए अणब्भुट्ठावेत्ता अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्मं अपडिवज्जावेत्ता उवट्ठावेत्तए वा संञ्चित्त वा संवत्तिए वा तांसिं इत्तरियं दिस वा अणुदिसं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा । ९। कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा निग्गंथिं अन्नगणाओ आगयं 1 श्री आगमगुणमंजूषा १४५७

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21