Book Title: Agam 35 BuhatKappo Chheysutt 02 Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुस्तकभी - १/१ आयरियपायमूले ठक्ता दोघं पिओग्गहं अनुण्णवेत्ता परिहारं परिहरित्तए।३५/-30 (70) निगर्थि वणं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अनुप्पविलु केइ यत्येण वा० उवनिमंतेजा कम्पइ से सागारकडंगहाय पवत्तिणीपायमले ठवेत्तादोधपि ओग्गहं० परिहरित्तए।४०।-40 (1) निगयिं चणं बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खंतं समाणि केइ वत्येण वा पडिग्गहेण वा कंबलेण वा पाय-पुंछणेण वा उवनिमंतेजा कप्पइ से सागारकडं गहाय पवत्तिणी पायमूले ठवेता दोच्चं पि ओग्गहं अनुष्णवेत्ता परिहारंपरिहरित्तए।४91-41 (१२) नो कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंधीण वा राओ वा वियाले वा असणं वा पाणं वा खाइमंवा साइमं वापडिग्गाहेत्तए।४२1-42 (४३) नन्नत्य एगेणं पुच्चपडिलेहिएणं सेझा-संथारएण।।३।-49 (rr) नो कप्पइ निगंयाण वा निग्गयीण वा राओ दा वियाले या वत्यं या पडिग्गहं घा कंबलं वा गाय-पंछणं वा पडिग्गाहेत्तए।४।-44 (४५) नन्नत्य एगाए हरियाइडियाए सा विय परिमुत्ता वा घोया वारत्ता वा घटावा मट्ठा वा संपधूमिया वा।४५146 (1) नोकप्पइनिग्गंधाणंवानिग्गंधीणवाराओवावियालेवाअद्धागमणंएत्तए।४६।-48 (r७) संखड़ि वा संखडिपडियाए एत्तए ।४७1-47 (४८) नो कप्पइ निरगंथस्स एगाणियस्स राओ वा वियाले वा बहिया वियारभूमि या विहारभूमि वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, कप्पइ से अप्पबिइयस्स वा अप्पतइयस्स वा राओ वावियाले वा बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए या।४८1-48 (४१) नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए राओ या बियाले वा बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए घा कप्पइ से अप्पविइयाए वा अप्पतइयाए वा अप्पचउत्यीए वा राओयावियाले वा बहिया वियारभूमि वा जाय परिसित्तए वा।।९।-49 (५०) कप्पइ निगंथाण वा निग्गयीण वा पुरित्यिमेणं जाव अंग-मगहाओ एतए दक्खिणेणं जाव कोसंबीओ एतए पञ्चस्थिमेणं जाव पूणाविसयाओ एतए उत्तरेणं जाव कुणालाविसयाओ एतए एतावताव कप्पइ एतावताव आरिए खेते नो से कप्पइ एतो बाहिं तेण परंजत्य नाणदंसणचरित्ताइउस्सप्पंति।५०। ति बेमि पटमो उदेसमोसपतो. बीओ-उद्देसो (५१) उदस्सयस अंतो वगडाए सालीणि वा वीहीणि वा मुग्गाणि वा मासाणि दा तिलाणि वा कुलत्याणि वा गोहूमाणि वा जवाणि था जवजवाणि या उखिण्णाणि या विक्खिण्णाणि वा विइकिण्णाणि वा विपकिण्णाणि वा नो कप्पइ निगंधाण वा निग्गंधीण घा अहालंदमवि यत्यए 19-1 (५२) अह पुण एवं जाणेजा - नो उक्खिण्णाई नो विक्खिण्णाई नो विइकिपणाई नो विप्पकिण्णाई रासिकड़ाणि वा पुंजकडाणि वा भित्तिकडाणि वा कुलियाकडाणि वा लंछियाणि या मुद्दियाणि वा पिहियाणि वा कप्पइ निग्गंधाण वा निगंथीण बाहेमंत-गिम्हासु यत्यए।12 (५३) अह पुण एवं जाणेना-नो रासिकडाई नो पुंजकडाइंनो भित्तिकडाई नोकुलियकडाई For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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