Book Title: Agam 35 BuhatKappo Chheysutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देसी-४ जहा पंडए बाइए की 141-5 (११५) तओ नो कप्पंति वाइत्तए तं जहा अविणीए विग्गईपडिव अविसोसवियपाहुडे तओ कप्पंति वाइत्तए तं जहा विणीए नो विगईपडिबद्धे विओसवियपाहुडे ॥६।-B (११७) तओ दुसण्णप्पा पत्रत्ता तं जहा दुद्वे मूढे वुग्गाहिए । ७1-7 (११८) तओ सुसण्णपा पत्रत्ता तं जहा- अदुडे अमूढे अवुग्गाहिए 1८1-8 (११९) निग्गंथिं च णं गिलायमाणं पिया या भाया वा पुत्तो वा पलिस्सएज्जा तं च निग्गंधी साइजेज्जा मेहुणपडिसेवणपत्ता आवजह घाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अनुग्घाइयं |९| (१२०) निग्गंध चणं गिलायमाणं माया वा भगिणी वा धूया या पलिस्सएञ्जा तं च निग्गंधे साइजेज्जा मेहुणपडि सेवणपत्ते आवज्जइ चाउम्पासियं परिहारट्ठाणं अनुग्धाइयं 1901-10 (१२१) नो कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंधीण या असणं वा० पढमाए पोरिसीए पडिग्गाहित्ता पच्छिमं पोरिसिं उवाइणावेत्तए से य आहश्च उवाइणाविए सिया तं नो अध्पणा मुंजेजा नो अण्णेर्सि अनुपदेशा एगंते बहुफासुए थंडिले पडिलेहिता पमञ्जिता परिट्ठवेयच्वे सिया तं अध्यणा भुंजमाणे अर्सि वा दलमाणे आवाइ चाउम्पासियं परिहारट्ठाणं उग्धाइयं 1991-11 (१२२) नो कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंधीण वा असणं वा पाणं वा खाइमं या साइमं था परं अद्धजोयणमेराए उवाइणावेत्तए से य आहा उवाइणाविए सिया तं नो अध्यणा मुंजेजा नो असं अनुष्पदेा गते बहुफासुए थंडिले पडिलेहिता पमञ्जित्ता परिद्ववेयव्वे सिया तं अप्पणा भुंजमाणे अण्णेसिं वा दलमाणे आवज्जइ चाउम्पासियं परिहारद्वाणं उग्वाइयं । १२1-12 (१२३) निग्येण य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अनुप्पविद्वेणं अण्णयरे अचिते अणेसणिजे पाण-भोयणे पडिग्गाहिए सिया अत्थि या इत्य केइ सेहतराए अनुवट्ठावियए कप्पर से तस्स दाउँ वा अनुष्पदा वा नत्वि या इत्थ केइ सेहतराए अनुवट्ठावियए तं नो अप्पणा मुंजेखा नो अण्णेसिं दावए एगंते बहुफासए थंडिले पडिलेहित्ता पमजित्ता परिट्ठवेयव्वे सिया ।१३/-13 (१२४) जे कडे कप्पट्ठियाणं कप्पर से अकपट्ठियाणं, नो से कम्पइ कम्पट्ठियाणं जे कडे अकम्पट्ठियाणं नो से कम्पइ कष्पद्वियाणं कप्पइ से अकप्पट्ठियाणं कप्पे ठिया कप्पनिया अकप्पे ठिया अकष्पट्टिया । १४ ।-14 (१२५) भिक्खु य गणाओ अवक्कम्म इच्छेजा अण्णं गणं उवसंपचित्ताणं विहरित्तए नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं या पवत्तिं या थेरं वा गणि या गणहरं वा गणावच्छेयं या अन्नं गणं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं या अन्नं गणं उवसंपत्तिाणं विहरित्तए ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए ते य से नो वियरेजा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए 19५/- 18 (१२५) गणावच्छेइए य गणाओ अवक्कष्म इच्छेना अन्नं गणं उवसंपजित्ताणं विहरितए नो कम्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपचिताणं विहरित्तए कप्पइ गणायच्छेइयस्स गणायच्छेइयतं निक्खिवित्ता अण्णं गणं उवसंपजित्ताणं विहरितए नो से कम्पइ अणापुच्छिता आयरियं या जाव गणावच्छेयं या अण्णं गणं उवसंपचित्ताणं विहरितए कप्पर से आपुच्छित्ता आयरियं बा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं उवसंपज्जिताणंविहरित ते य से वियरेजा एवं से कप्पइ अन्नं गणं उबसंपचित्ताणं विहरित्तए ते य से नो For Private And Personal Use Only

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