Book Title: Agam 32 Devindatthao Painnagsutt 09 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥१५॥ ।।१५२॥ ||१५३॥ 19५४॥ ||१५५॥ 11१५६॥ 1१५७।। १५८॥ (१५१) धायइसंडपभिई उद्दिवा तिगुणिया पवे चंदा। आइलचंदसहिया अनंतरानंतरे खेते (१५२) रिक्ख गह-तारगं दीव -समुद्दे जइच्छसे नाउँ। तस्स ससीहि उगुणियं रिक्ख-गहतारयग्गंतु (१५३) बहिया उ माणुसनगरस घंद-सूराणऽवट्ठियाजोगा। चंदा अभिईजुत्ता सूरापुण होति पुस्सेहिं (१५४) चंदाओ सूरस्सयसूरा चंदस्स अंतरं होइ । पत्रास सहस्साइंतु जोयणाणं अनूणाई (१५५) सूरस्स य सूरस्स य ससिणो ससिणोय अंतरंहोइ बहिया उ माणुसनगरस जोयणाणं सयसहस्सं (१५६) सूरतरिया चंदा चंदंतरिया य दिनयरा दित्ता) चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसाय (१५७) अट्ठासीइंचगहा अट्ठावीसं च होति नक्खता। एगससीपरिवारो एतो तारण योच्छामि (१५८) छावद्विसहस्साई नव चेद सयाई पंचसयराई। एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं (१५९) वाससहस्सं पलिओयपं च सूराण सा ठिई मणिया। पलिओवम चंदाणं याससयहस्सममहियं (१६०) पलिओयमं गहाणं नक्खताणं च जाण पलियद्धं । पलियचउत्थो भागो ताराण विसाठिई मणिया (१६) पलिओवमऽभागो ठिई जहष्णा उजोइसगणस्स पलिओवममुक्कोसं वाससयसहस्समपहियं (१६२) पवणवइ-वाणमंतर-जोइसवासीठिई मए कहिया कपवई विथ वो बारस इंदे महिड्डीए (१५६) पढमो सोहम्मवईईसाणवई उ मत्रए बीओ तत्तो सणंकुमारोहवइ चउत्यो उ माहिंदो (१६४) पंचमओ पुण बंपोछटो पुण लंतओऽत्य देविंदो सत्तमओ महसुक्को अट्ठमओ मये सहस्सारो (१६५) नवमोय आणइंदो दसमो पुण पाणओऽत्य देविंदो आरण एक्कारसमो वारसमो अधुओ इंदो (१५६) एए बारस इंदा कप्पदई कप्पसामिया भणिया आणाईसरियं वा तेण परं नत्यि देवाणं (१५७) तेण परं देवगणा सयइच्छियभावणाइ उयवना गेदिजेहिं न सक्का उववाओ अलिंगेणं १५९॥ 11१६०॥ ॥१६॥ १२|| ॥१३॥ 11१६४॥ ॥१६५ ॥१६॥ १६७॥ For Private And Personal Use Only

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