Book Title: Agam 31 Prakirnaka 08 Ganivijja Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassa garsuri Gyanmandir सवणे य नक्खत्ते ॥२॥एएसुयअद्धाणं प्रत्थाणं ठाणयं चकायव्वीजइय गहत्थं न चिट्ठइ संझामुकं च जइ होइ॥३॥ उम्पन्नभत्तपाणो अद्धाणम्मि सथा 3 जो होइ। फलपुष्फोवगवेओ गओवि खेमेण सो एइ॥ ४॥ संझागयरविगयं विड्डेरं सागहं विलंबिं च। राहगयं । गहभिन्नं च वजए सव्वनक्खत्ते ॥५॥अत्थमणे संझागय रविण्य जहियं ठिओ उ आइच्यो। विड्डेरमवहारिय सगह कूरगहठियं तु॥ ६॥ आइच्चपिट्ठओ से विलंबि राहूहयं जहिं गहणी मझेण गहो जस्स उ गच्छइ त होइ गहभिन्नं ॥७॥ संज्झागयम्मि कलहो होड़ विवाओ विलंबिनक्खत्ते। विड्डेरे परविजओ आइच्च्गए अनिव्वाणी॥८॥जंसम्गहम्मि कीरइ नक्खत्ते तत्थ निग्गहो होइ। राहुहयम्मि यमरणं गहभिन्ने सोणिउग्गाले॥९॥संझागयं राहगयं आइच्चगयं च दुब्बलं रिक्खीसंझाइविमुळं गहमुकं चेव बलियाई॥२०॥ पुस्सो हत्थो अभीई य, अस्सिणी भरणी तहा। एएसु य रिक्वेसुं, पाओवगमणं करे॥१॥सवणेण धणिहाइ पुणव्वसू नवि करिज्ज निक्खमणी सयभिसयपूसथंभे ( हत्थे ) विजारंभे पवित्तिजा ॥ २॥ मिगसिर अहा पुस्सो तिन्नि धणिहा पुणव्वसू रोहिणी। पुस्सो य/ (पुव्वाई मूलमस्सेसाहित्थो चित्ता यतहा दस वुड्किराई नाणस्स) ॥३॥पुणव्वसूणा पुस्सेण, सवणेण धणिया।एएहिं चउरिक्खेहि, लोयकम्माणि कार५॥ ४॥ कित्तियाहिं विसाहाहिं, मघाहिं भरणीहि यो एएहिं चरिक्खेहि, लोयकम्माणि वजए ॥ ५॥ तिहिं| उत्तराहिं रोहिणीहि, कुज्जा उसेहनिक्खमणी सेहोवट्ठावणं कुजा,अणुन्ना गणिवायए॥६॥गणसंगहणं कुज्जा, गणहरं चेवगवए।। उगह वसहिं ठाणं, थावराणि पवत्तए॥७॥पुस्सो हत्थो अभिई,अस्सिणीय तहेवाचत्तारि खिप्पकारीणी, कजारंभेसु सोहणा॥८॥ ॥श्री मणिविन्झा सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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