Book Title: Agam 25 Aaurpacchakhanam Bieyam Painnayam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 7
________________ अणुक्कमो-६२ [62] आराहणोवउत्तो कालं काऊण सुविहिओ सम्म / उक्कोसं तिन्नि भवे गंतूणं लहइ निव्वाणं / / [63] समणो ति अहं पढमं बीयं सव्वत्थं संजओमि ति / सव्वं च वोसिरामि एयं भणियं समासेणं / / [64] लद्धं अलद्धपुव्वं जिनवयण सुभासियं अमियभूयं / गहिओ सुग्गइमग्गो नाऽहं मरणस्स बीहेमि / / / [65] धीरेण वि मरियव्वं काउरिसेण वि अवस्स मरियव्वं / दोण्हंपि हु मरियव्वे वरं खु धीरत्तणे मरिठं / / [66] सीलेण वि मरियव्वं निस्सीलेण वि अवस्स मरियव्वं / दोण्हंपि हु मरियव्वे वरं खु सीलत्तणे मरिठं [67] नाणस्स दंसणस्स य सम्मत्तस्स य चरित्तजुत्तस्स / जो काही उवओगं संसारा सो विमुच्चिहिसि / / [68] चिर उसिय बंभयारी पप्फोडेऊण सेसयं कम्म / अनुपुव्वीइ विसुद्धो गच्छइ सिद्धिं धुयकिलेसो / / [69] निक्कसायस्स दंतस्स, सूरस्स ववसाइणो | संसार परिमीयस्स, पच्चक्खाणं सुहं भवे / / [70] एयं पच्चक्खाणं जो काही मरणदेसकालम्मि / धीरो अमूढसन्नो सो गच्छइ सासयं ठाणं / / [71] धीरो जर मरणविऊ धीरो विन्नाण नाणसंपन्नो / लोगस्सुज्जोयगरो दिसठ खयं सव्वदुक्खाणं / / | मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादितश्च "आठरपच्चक्खाणं पइण्णयं सम्मत्तं" / 25 | "आउरपच्चक्खाणं - बिइयं पइण्णयं” सम्मतं दीपरत्नसागर-संशोधितः] दीपरत्नसागर-संशोधितः [6] [२५|आउरपच्चक्खाणंPage Navigation
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