Book Title: Agam 22 Upang 11 Pushpachulika Sutra Puffachuliyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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(२) उत्तरज्भयणाणि (भाग १ और २ ) (३) ठाणं
(४) समयाओ
(५) सूयगडो (भाग १ ओर भाग २ )
उक्त में से द्वितीय ग्रंथ जैन दवेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित हुआ है।
तीसरी आगम-अनुशीलन ग्रन्थमाला में निम्न दो ग्रन्थ निकल चुके हैं
(१) दशवेकालिक एक समीक्षात्मक अध्ययन
(२) उत्तराध्ययन: एक समीक्षात्मक अध्ययन
चौथी आगम-कथा ग्रन्थमाला में अभी तक कोई ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हो पाया है ।
पांचवी वर्गीकृत -आगम ग्रन्थमाला में दो ग्रन्थ निकल चुके हैं।
(१) दसर्वकालिक वर्गीकृत (धर्म प्रशस्ति खं० १)
(२) उत्तराध्ययन] वर्गीकृत (धर्मप्राप्ति बं० २ )
छठी केवल आगम हिंदी अनुवाद ग्रन्थमाला में एक 'दशकालिक और उत्तराध्ययन' ग्रन्थ का प्रकाशन हुआ है ।
उक्त प्रकाशनों के अतिरिक्त दसर्वकालिक एवं उत्तराध्ययन (मूल पाठ मात्र) गुटकों के रूप में प्रकाशित किए जा चुके हैं ।
उक्त विवरण से पाठकों को विदित होगा कि भूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित ३२ आगम ग्रंथ आगमसुत्त ग्रंथमाला के अर्न्तगत प्रकाशित हो चुके हैं । ३२ आगमों का इस प्रकार का आलोचनात्मक प्रकाशन आगम प्रकाशन के इतिहास में प्रथम बार ही सम्मुख आया है।
आगम प्रकाशन कार्य की योजना में निम्न महानुभावों का सहयोग रहा---
(१) सरावगी बेरिटेबल फण्ड, कलकत्ता (ट्रस्टी रामकुमारजी सरावगी, गोविंदालालजी सरावगी एवं कमलनयनजी सरावगी ) ।
(२) रामलालजी हंसराजजी गोलछा, विराटनगर ।
(३) स्व० जयचंदलालजी गोठी, सरदारशहर
(४) रामपुरिया चेरिटेबल ट्रस्ट, कलकत्ता ।
(५) बेगराज भंवरलाल चोरडिया चेरिटेबल ट्रस्ट ।
यह ग्रन्थ जैन विश्व भारती के निजी मुद्रणालय में मुद्रित होकर प्रकाशित हो रहा है। मुद्रणा लय के स्थापना में मित्र-परिषद्, कलकत्ता के आर्थिक सहयोग का सौजन्य रहा, जिसके लिए उक्त संस्था को अनेक धन्यवाद ।
आगम-संपादन के विविध आयामों के वाचना- प्रमुख हैं आचार्य श्री तुलसी और प्रधान संपादक तथा विवेचक हैं युवाचार्यश्री महाप्रजी इस कार्य में अनेक साधु-साध्वी सहयोगी रहे हैं।
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