Book Title: Agam 22 Pupphachuliyanam Uvangsutt 11 Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुफलिपाणं-/१० पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे सिरिवडेंसए विमाणे उववायसमाए देवसयणिशंसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेजइभागमेताए! ओगाहणए सिरिदेवित्ताए उववण्णा पंचविहाए पञ्जत्तीए जाव भासमणपजत्तीए पञतभायं गया एवं खलु गोयमासिरीए देवीए एसा दिव्या देविड्डी लखा पत्ता ठिई एगं पलिओयम सिरी णं भंते देवी [ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं मवखएणं ठिइक्खएणं अनंतरं वयं घइत्ता] कर्हि गच्छिहिई कहिं उवदलिहिइ गोयमा महाविदेहे वासे सिन्झिहिइ एवं खलु जंबू सिमणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुष्फचूलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नतेत्ति बेमि] __एवं सेसाणवि नवण्हं भाणियच्वं सरिनामा विमाणासोहम्मे कप्पे पुष्यभवे नयरचेइयपियमाईणं अपणो य नामाई जहा संगहणीए सव्वा पासस्स अंतिए निकाता पुप्फचूलाणं सिस्सिणीयाओसरीरबाउसियाओसव्वाओ अनंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे यासे सिन्झिहिंति।१।- [२९] -1 .१-१० अज्मयणाणि समसानि २२ पुप्फचूलियाणं समत्तं एक्कारसमं उवंगं समत्तं For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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