Book Title: Agam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Puffiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 9
________________ प्रस्तुत ग्रन्थ उवांगसुत्ताणि ४ का द्वितीय खण्ड है । इस में नौ आगम समाहित हैं- १. पण्णवणा २. जंबुद्दीवपण्णत्ती ३. चंदपण्णत्ती ४. सूरपण्णत्ती ५. निरयावलियाओ ६. कप्पवाडसियाओ ७ पुष्फियाओ ८ पुष्कचूलियाओ है वहिदसाओ । आगम संपादन एवं प्रकाशन की योजना इस प्रकार है १. आगम-सुत्त ग्रन्थमाला - मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित आगमों का प्रस्तुती करण । २. आगम - अनुसंधान ग्रन्थमाला -- मूलपाठ, संस्कृत छाया, अनुवाद, पद्यानुक्रम, सूत्रानुक्रम तथा मौलिक टिप्पणियों सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण ! ३. आगम-अनुशीलन ग्रंथमाला --- आगमों के समीक्षात्मक अध्ययनों का प्रस्तुतीकरण । ४. आगम-कथा ग्रन्थमाला --- आगमों से संबंधित कथाओं का संकलन और अनुवाद | ५. वर्गीकृत आगम ग्रन्थमाला - आगमों का संक्षिप्त वर्गीकृत रूप में प्रस्तुतीकरण । ६. आगमों के केवल हिंदी अनुवाद के संस्करण । प्रकाशकीय प्रथम आगम-सुत्त ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं' ( १ ) अंगसुत्ताणि ( १ ) - इसमें आयारो, सुयगडो, ठाणं, समवाओ ये चार अंग समाहित हैं । ( २ ) अंगसुताणि ( २ ) - इसमें पंचम अंग भगवई प्रकाशित है । (३) अंगसुत्ताणि ( ३ ) - इसमें नायाधम्मकहाओ, उवासगदसाओ, अंतगडदसाओ, अणुत्तरोववाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुथं-ये ६ अंग हैं । (४) उवंगसुत्ताणि ( ४ ) ( खं० १ ) ) – इसमें (१) ओवाइयं ( २ ) रायपसेणियं और ( ३ ) जीवाजीवाभिगमे ये तीन आगम ग्रन्थ हैं । (५) उवंगसुत्ताणि ( ४ ) ( खण्ड २ ) - प्रस्तुत ग्रन्थ । इसमें पण्णवणा, जंबुद्दीवपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निरयावलियाओ, कप्पवडिसियाओ तुफियाओ, पुप्फचूलियाओ, साओ प्रकाशित हो रहे हैं । (६) नवसुत्ताणि ( ५ ) - इसमें आवस्सयं, दसवेआलियं, उत्तरज्भयपाणि, नंदी, अणुओगदाराई, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहज्भयणं-ये नौ आगम ग्रन्थ हैं। द्वितीय आगम अनुसंधान ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं— (१) दसवेलियं Jain Education International - १. इस ग्रंथमाला के अर्न्तगत ( १ ) दसवेआलियं सह उत्तरज्भयणाणि, (२) आयरो तह आयारचूला, (३) निसीहज्झणं, (४) ओवाइयं, (५) समवाओ ये ग्रंथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा भी प्रकाशित हुए थे । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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