Book Title: Agam 21 Puffiyanam Uvangsutt 10 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ पुष्पिाणं - २/५ सारक्खिज्ज्रमाणा संगोविचमाणा संवड्ढियमाणा आराम जाया- किण्हा किण्होमासा जाव रम्मा महा मेहनिकुरंबवूया पत्तिया पुम्फिया फलिया हरियगरेजिमाणसिरीया अई अईव उवसोभेमाणा चिठ्ठति तए णं स्स सोमिलस्स माहणस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाब समुपस्थिा एवं खलु अहं वाणारसीए नगरीए सोमिले नामं माहणे अञ्चंतमाहण कुलप्पसूए तए णं नए वयाई चिण्णाई जाव जूवा निक्खित्ता तए णं मए वाणारसीए नयरीए बहिया यहवे अंबारामा जाव पुष्फारामा य रोवाविया तं सेवं खलु ममं इयाणिं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहु सोहकडाकडुच्छुयं तंबियं तावसभंडं घडावेत्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेता मित्त-नाइ जाव सम्भाणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ० पुरओ पुत्तं कुडुंबे ठावेत्ता तं मित्त० जेट्ठपुत्तं च आपुच्छित्ता सुबहुं लोहकडाहक डुच्छ्रयं तंबियं तावसभंडंग गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपस्था तावसा भवंति लोहकडाहकडुच्छ्रयं तंबियं तावसभंडगं हाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्या तावसा भवंति तं जहा होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुंबउट्टा दंतुक्खलिया उम्मलगा संमज्जगा निमज्जगा संपक्खालगा दक्खिणकूला उत्तरकूला संखधमा कुलधमा मियलुद्धा हत्यितावसा उद्दंडगा दिसापोक्खिणो वक्कवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो रुक्खमूलिया अंबुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुष्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडिय-कंद-मूल-तय- पत्त- पुप्फ-फलाहारा जलाभिसेयकठिण - गायभूया आयावणाहिं पंचग्निहताचेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं कट्टसोल्लियं पिव अप्पाणं करे माणा विहरंति तत्य णं जेते दिसापोक्खिया तावसा तेर्सि अंतिए दिसापोक्खिय तावस त्ताए पव्वइत्तए पव्वइए वि य णं समाणे इमं एवारूवं अभिहं अभिगिहिस्सामि - कप्पर मे जावज्जीयाए छणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढ बाहाओ पगिज्झियपगिज्झिय सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइसंपेहेत्ता कल पाउप्पमायाए जाव दिसापोक्खयतावसत्ताए पव्वइए, पव्बाइए वि य णं समाणे इमं एवारूवं अभिग्ग अभिगिन्हित्ता पढमं छट्ठक्खमणं उवसंपचित्ता णं विहरइ तए णं सोमिले माहारिसी पढमछट्ठक्रूखमण-पारणगंसि आयावणभूमिओ पच्चो रुहइ पञ्चोरुहित्ता यागलवत्थनियत्ये जेजेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयं गेण्हड् गेव्हित्ता पुरत्थिमं दिसि पोक्खेइ पुरस्थिमाए दिलाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्वियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसि-अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य जाब हरियाणि य ताणि अनुजाण - उत्तिकट्ट्टु पुरस्त्थिमं दिसं पसरइ पसरिता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेहइ गेण्डित्ता जेणेव सए उड़ए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं ठवेइ ठवेत्ता वेदि बड्ढे वड्ढेत्ता उबलेवणसमंजणं करे करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महानई तेणव उबागच्छइ उवागच्छित्ता गंगं महानई ओगाहइ ओगाहिता जलमज्जणं करेइ करेत्ता जलाभिसेयं करेइ करेत्ता जलकिहुं करेइ करेत्ता आयंते चोकूखे परमसुइभूए देवपिउकयको दमकलसहत्तगए गंगाओ महानईओ पछुत्तरइ पछुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्मेय कुसे य वालुयाए व वेदिं रएइ एत्ता सरयं करेइ करेत्ता अरणिं करेइ करेत्ता सरएणं अरणि महेइ महेत्ता अगिंग पाडेइ पाडेत्ता अगि संधुक्केइ संधुक्केत्ता समिहाकट्टाणि पक्खिव पक्खिवित्ता अरिंग उज्जाले उजालेत्ता अग्गिस्स दाहिणे पासे सत्तंगाई समादहे [ तं जहा ) 1३-११२५-१]-3-1 For Private And Personal Use Only

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