Book Title: Agam 21 Puffiyanam Uvangsutt 10 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुफियाणं-4/८ पंचम अझपणं-पुनभद्दे (५) जइण भते समणेणं भगवया महावीरेणं उखेवओ० एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया सामी समोसरिए परिसा निग्गया तेणं कालेणं तेणं समएणं पुनमद्दे देये सोहम्मे कप्पे पुत्रम विमाणे सभाए सुहम्माए पुनभईसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जहा सूरियामे जाव बत्तीसइविहं नट्टविहिं उददंसित्ता जाव जामेव दिसिं पाउदमूए तामेव दिसिं पडिगए कूडागारसाला पुव्वभवपुच्छा एवं खलु गोयमा तेणं कालेणं तेणं सपएणं इहेव जंबहीवे दीवे भारहे वासे मणिवइया नामं नयरी होत्या-रिद्धस्थिमिय-समिद्धा चंदोतारायणे चेइए तत्थणंमणिवइयाए नयरीए पुन्नमद्दे नाम गाहायई परिवसईअड्ढे तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जाव जीवियास-मरणमय-विष्पमुक्का बहुस्सुया बहुपरियारा पुव्वाणूपुचि चरमाणा जाव समोसढा परिसा निग्गया तए णं से पत्रमद्दे गाहावई इमीसे कहाए लढे समाणे हतुढे जाब जहा पन्नत्तीए गंगदते तहेव निग्गच्छइ जाद निक्खंतो जाव गुत्तबंभयारी तए णं से पुनभद्दे अणगारे तहारूवाणं येणं भगवंताणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिनइ अहिञ्जित्ता बहूहिं चउत्य-छट्टलम-दसम-दुवालसेहिं जाव भावित्ता यहूई वासाइं सामण्णपरियागंपाउणइ पाउणिता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेता सढि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किया सोहम्मे कप्पे पन्नमद्देविमाणे उववायसभाए देवलयणिशंसिजावमासमणपञ्जत्तीए पञ्जत्तभावं गए एवं खलु गोयमा पुत्रमद्दे देवेणं सा दिव्या देविड्ढी जाव अभिसमपणागया पुनभहस्स देवस्स दो सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता पुनभद्दे देवे ताओ देवलोगाओ० महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिइएवं खलुजंबू समणेणं भगवया महावीरेणंजाव संपत्तेणंनिखेवजओ०त्ति बेमि।५।२७/-5 छटुं अज्झयणं-माणिमहे | (१०) जइणं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उक्खेवओ० तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया सामी समोसरिए तेणं कालेणं तेणं समएणं माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभदंसि सीहाससि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुत्रमद्दो तहेव आगमणं नट्टविही पुबभवपुच्छा पणिवई नयरी माणिभद्दे गाहावई घेराणं अंतिए पव्वजा एक्कारस अंगाइंअहिजइ बहूई वासाई परियाओमासिया संलेहणा सर्द्धि भत्ताई माणिभद्दे विमाणे उववाओ दोसागरोवमाइंठिई महाविदेहे वासे सिन्झिहिइएवं खलुजंबुनिखेवओ।६-१16-1 ७-२०-अज्झयणाणि (११) एवं दत्ते सिवे बले अणाढिए सब्चे जहा पुनभद्दे देये दो सागरोवमाइं ठिई विमाणा देवसरिनामा पुव्वभवे दत्ते चंदणानामाए सिवे मिहिलाए बले हत्यिणपुरे नपरे अणाढिए काकंदीए चेइयाइं-जहा संगहणीए।६।[२८]-9 २१ पुफियाणं सम्मत्तं दसमं उवंगं समत्तं For Private And Personal Use Only

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