Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Nirayavaliao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१ । १४
१११४
११२३
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११३५
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११४८१४७
१६३१४
२१०
२११३
२४०
३।१
३/७
३।१०२
३।१२७
३।१७४
३।१८२
३।१८३
४। २५५
४/२७५
५।५
५।५
५५
_५:७
५१०१
५१७६
५।२४२
६।४६
दाद
१११६
११।२१
११।२५
११।३०
११/३७
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बेंद्रिय
तेंदिय
ओसा
वायमंडलिया
अंकोल्ल
कोरंटय
बलिमोडओ
वीइभयं
पडीण
तडागेसु
चो
विसेसाहिया
दाहिणे
विभंगणाणीण
अहेलोए
अस्साता
जहा
सकसाई
एगुणवीसं
पणुवीसं
जदि
महुर
अम्भहिए
'afडिए
मणुस्से
वढिज्जति
एएणेणं
अभिलावो
ओसण्ण
'अणमणी
१७
शब्दान्तर और रूपान्तर
वगे
सयण
सरीरपवा
वोयड अश्वोयडा
पण्णवणा
बेइन्दिय
तेइन्दिय
उस्सा
वाउ मंडलिया
अंकुल्ल
कोरिय ( क ); कोरेंट
पलिमोडओ
वीयभयं
पयोण ( क ) ; पण
तलागेसु
चो
विसेसाधिया
दक्खिणं
विहंगणाणीण
अहोलोए ( ग ) ; अधेलोए
असाता
जधा
सकसादी
एकूणवीसं (क, घ); एक्कूणवीस पंचवीस ( खघ); पणवीसं
जइ ( ख, ग, घ ) ; जति
मधुर
अभइए ( क ) ; अब्भतिए
"पडिए
मणूसे
वुड्ढज्जति
एट्ठेणं
अहिलावो
उस्सण्ण
'आणवणी
बिगे
सतणं
सरीरप्पभवा
बोगड अव्बोगडा
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(क,स्व)
(ख)
(क,ग)
(क)
(क, घ)
(क, घ)
( ख, ग, घ )
(क)
(क)
(घ, पु)
(क, ख, घ)
(क,ग,ध)
(घ)
( ख, ग )
(ख, घ)
(क)
(ख)
(14)
( क, ख )
(पु)
(क)
(क, ख, घ)
(क,ग,घ)
( क, ख )
(ख, घ)
(क)
( ख, ग, घ )
(क, ख, ग, घ )
(क)
(क, ख, ग, घ ) (55)
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