Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
View full book text ________________ FO95555555555 (17) चंदपन्नति पाहुडं - 20 [35] 街坊纺$$$$$ F OLION $$$$$5555555555 आसासणे कज्जोवए कत्थु (व्व) रए अयगरए दुंदुभए संखे संखणाभे 20 संखवण्णाभे कंसे कंसणाभे कंसवण्णाभे रूप्पी रूप्पोभासे नीलो नीलोभासे भासे भासरासी 30 दगे दगवण्णे तिले तिलपुप्फवण्णे काए कागं (व) धे इंदग्गी धूमकेतू हरि पिंगलए 40 बुद्धे सुक्के बहस्सती राहू अगत्थी माणवते कामफासे धुरे पमुहे वियडे 50 विसंधी कप्पेल्लए पइल्ले जडिलए अरूणे अग्गिल्लए काले महाकाले सोत्थिए सोवत्थिए वद्धमाणए 60 पलंबे णिच्चालोए णिच्चुज्जोए सयंपहे ओभासे सेयंकरे आभंकरे पभंकरे अरए 70 विरए असोगे वीयसोगे विवत्ते विवत्थे विसाले साले सुव्वते अणियट्टी एकजडी 80 दुजडी करे करिए राय अग्गले भावे केऊ पुप्फकेतू (सूर्य० गाथा 89-97) / 106 / / 20 पाहुडं / / ‘इय एस पागडत्था अभव्वजणहिययदुल्लभा इणमो। उक्कित्तिया भगवती जोइसरायस्स पन्नत्ती / / 98 / / एस गहियावि संती थद्धे गारवियमाणपडिणीए। अबहुस्सए न देया तव्विवरीए भवे देया // 99|| धिइउट्ठाणुच्छाहकंमबलविरियपुरिसकारेहिं / जो सिक्खिओवि संतो' अभायणे पकिखविज्जाहि // 100 / / सो पवयणकु लगणसंघबाहिरो णाणविणयपरिहीणो / अरहतथेरगणहरमेरं किर होइ वोलीणो ||1|| तम्हा॥ धिइउट्ठाणुच्छाहकम्मबलविरियसिक्खियं णाणं / धारेयव्वं णियमा ण य अविणीएसु दायव्वं // 2 // वीरवरस्स भगवतो जरमरणकिलेसदोसरहियस्स / वंदामि विणयपणतो सोक्खुप्पाए सया पाए / / 103|| गाथा ।१०७15श्रीचंद्रप्रज्ञप्त्युपांगमुत्कारित। A955555555555555555555555555555555555555555555555hero $$$$$$$ AGR7$$$$$$$$ Education International 2010-03 For Prsonal Use Only www.jainelibrary.orn) 555555555RIFIER55555555फक श्री आगमणमंज्या - 1982 1555555555555555555555FFICERNOR
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