Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
View full book text ________________ EC%$$$$历历明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听国乐。 HOO5555555555555 205853355amamaen कव्व (प्र० च्छ) रए अयकरए दुंदुभए संखे संखणाभे 20 संखवण्णाभे कंसे कंसणाभे कैसवण्णाभे णीले णीलोभासे रूप्पे रूप्पोभासे भासे भासरासी 30 तिले तिलपुप्फवण्णे दगे दगवण्णे काये वंधे इंदग्गी धूमकेतू हरी पिंगलए 40 बुधे सुक्के बहस्सती राहू अगत्थी माणवए कामफासे धुरे पमुहे वियडे 50 विसंधिकप्पेल्लए पइल्ले जडियालए अरूणे अग्गिल्लए काले महाकाले सोत्थिए सोवत्थिए वद्धमाणगे 60 पलंबे णिच्चालोए णिच्चुज्जोते सयंपभे ओभासे सेयंकरे खेमंकरे आभंकरे पभंकरे अरए 70 विरए असोगे वीतसोगे य (प्र० विमले) विवत्ते विवत्थे विसाले साले सुव्वते अणियट्टी (203) एगजडी 80 दुजडी कर करिए रायऽग्गले पुप्फकेतू भावे केतू, संगहणी- 'इंगालए वियालए लोहितंके सणिच्छरे चेव / आहुणिए पाहुणिए कणकसणामावि पंचेव ||89|| सोमे सहिते अस्सासणे य कज्जोवए य कव्वरए। अयकरए दुंदुभए संखसणामावि तिण्णेव // 90|| तिन्नेव कंसणामा णीले रूप्पी य हुंति चत्तारि | भास तिल पुप्फवण्णे दगवण्णे काय वंधे य // 91|| इंदग्गी धूमकेतू हरि पिंगलए बुधे य सुक्के य / बहसति राहु अगत्थी माणवए कामफासे य // 92|| धुरए पमुहे वियडे विसंधिकप्पे नियडि पयले य / जडियालए य अरूणे अग्गिल काले महाकाले।।९३|| सोत्थिये सोवत्थिये वद्धमाणग तधा पलंबे य। णिच्यालोए णिच्चुज्जोए सयंपभे चेव ओभासे॥९४॥ सेयंकर खेमंकर आभंकर पभंकरे य बोद्धव्वे / अरए विरए य तहा असोग तह वीतसोगे य॥९५|| विमले वितत विवत्थे विसाल तह साल सुव्वते चेव / अणियट्टी एगजडी य होइ बिजडी य बोद्धव्वो / / 96 / / कर करिए रायऽग्गल बोद्धव्वे पुप्फ भाव केतू य / अट्ठासीति गहा खलु णेयव्वा आणुपुव्वीए // 97 // 106||20 पाहुडं || इति एस पाहुडत्था + अभव्वजणहिययदुल्लहा इणमो। उक्कित्तिता भगवती जोतिसरायस्स पन्नत्ती॥९८॥ एस गहितावि संती थद्धे गारवियमाणिपडिणीए। अबहुस्सुए ण देया तन्विवरीते भवे देया // 99|| सद्धाधितिउट्ठाणुच्छाहकम्मबलविरियपुरिसकारेहिं / जो सिक्खिओवि संतो अभायणे परिकहे (प्र० क्खिवे) जाहि // 100 // सो पवयणकुलगणसंघबाहिरोणाणविणयपरिहीणो। अरहंतथेरगणहरमेरं किर होति वोलीणो॥१०१॥ तम्हा धितिउट्ठाणुच्छाहकम्मबलविरियसिक्खणाणं / धारेयव्वं णियमा ण य अविणएस दायव्वं // 102 / / वीरवरस्स भगवतो जरमरणकिलेसदोसरहियस्स / वदामि विणयपणतो सोक्खुप्पाए सया पाए॥१०३||१०७) इति श्रीसूर्यप्रज्ञप्त्युपागंज LATED9555555555555555555श्री आगमगुणमजूषा - 114755555555555555555555555555557
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