Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ कवकिरण परपसाइप्प माप पिरिमा पाईपपता परमपत्ता रति। पयमर्च पापीममतोपौनयो पूषापरदिगोरायता दीघा गाना गाया चेपा तथा उदधिमचियोरत्तरयाम्य योदिगोविस्तीपी विभवन्ती येते तथा। पवमता अधोमुप्ता नता पानमा मणताय न राप्रपा विममाजिताय विशेषतो विभागवाय' भवसमा पधोमुपतया पयसम्ममामा' प्रसम्यायातिदोषों मासा प्रयाधाय यस्मिन स सथाविधी पिटपो येषां ते तथा प्रयाधीन पता पधोमुसपी पनुपीपंपमा उपत्ततावा भवहिमिगतपर्णा । प्रवाधिछतवारमायियते पहिदपप्ता नीरचपा पविरत पत्ता निरन्तरदशा पपाईपपता पगाचीनपता पधोमुपपशामा पानोतपवाया पवातीपत प्रपश्यपत्तारति विरहित छदा । मित्र यजरठप टुप सा पपगतपुराण पाणपगा। पवारियभिमतपत्तभारधवारगंभौरदरिमपिणा नवेन रितन भिसंतत्ति दीप्य मानिन पषमारेण सपनान्य-वारा पन्धकारवती पसपव मधोराय प्यसे ये ते तथा। उपपिमापवतरपपत्तपमवयोमस वलसपस सविसनय सुकुमानपवास सोहियपरकुरमसिएरा उपनिर्गनवतरुणपपपपये रवभिनव गुतमा कोमसोच सयपाधि जिगमय' पववि तथा सङ्घमाग्मगार गोमितानि परामरापि प्रगिसराणि ये पाते तथा रदप प्रवाईगापप्ता व पपत्ता निद्धय जरठ पड़पत्ता वहरियभिसंत पत्तभार धकार गमौरदरिमपिज्जा उवणिग्ग यवतरुण पत्तपल्लवकोमल उज्जल चत किमलय सुकुमाल पवाज सोध्यिवर करग्गमिहरा णिच कुसमिया कोनामाचार नाममनोमाभिसत देदीप्यमामापा पत्रछसजेभारसमातेपण वरीपंधकार ते एकरोगंभोरदीसताकर उपनिग्गय मनता V नोवण्यानयोताना पत्रपनापशवयोमस सज्यसताकारताबेकिसचय सुधमासम्हासाप्रवासी पकरीसीमतावरप्रधाममयूराएषा अग्रथिपर

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 ... 466