Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 54
________________ || णवमं अज्झयणं समत्तं || अट्ठमो वग्गो दसमं अज्झयणं महासेणकण्हा [ -] एवं महासेणकण्हा वि, णवरं आयंबिलवडढमाणं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तं जहाआयंबिलं करेइ, करेत्ता चउत्थं करेइ करेत्ता, बे आयंबिलाइं करेइ, करेत्ता चउत्थं करेइ करेत्ता, तिण्णि आयंबिलाइं करेइ, करेत्ता चउत्थं करेइ करेत्ता, चत्तारि आयंबिलाई करेइ, करेत्ता चउत्थं करेइ करेत्ता, पंच आयंबिलाई करेइ, करेत्ता चउत्थं करेइ करेत्ता, छ आयंबिलाई करेइ, करेत्ता चउत्थं करेइ करेत्ता, एक्कुत्तरियाइ वुड्ढीए आयंबिलाइं वुड्ढंति चउत्थंतरियाइं जाव आयंबिलसयं करेइ, करेत्ता चउत्थं करे । तए णं सा महासेणकण्हा अज्जा आयंबिलवड्ढमाणं तवोकम्मं चोद्दसहिं वासेहिं तिहि य मासेहिं वीसहि य अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव अज्जचंदणा अज्जा तेणेव उवागया, उवागच्छित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता बहूहिं चउत्थं जाव भावेमाणी विहरइ । तए णं सा महासेणकण्हा अज्जा तेणं ओरालेणं जाव तवेणं तेएणं तवतेय सिरीए अईव-अईव उवसोहेमाणी चिट्ठइ । तए णं तीसे महासेणकण्हाए अज्जाए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकाले चिंता जहा खंदयस्स जाव अज्जचंदणं अज्जं आपुच्छइ जाव (संलेहणा) कालं अणवकंखमाणी विहरइ । तए णं सा महासेणकण्हा अज्जा अज्जचंदणाए अज्जाए अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता, बहुपडिपुण्णाई सत्तरस वासाइं परियायं पालइत्ता, मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झसित्ता, सढि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता जस्सहाए कीरइ णग्गभावे जाव तमटुं आराहेइ, आराहित्ता चरिमउस्सास णिस्सासेहिं सिद्धा। अट्ठ य वासा आई, एक्कोत्तरियाए जाव सत्तरस्स | एसो खलु परियाओ, सेणियभज्जाण णायव्वो ॥१॥ || दसमं अज्झयणं समत्तं || || अट्ठमो वग्गो समत्तो ||

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