Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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॥श्रीस्थानाङ्ग सूत्रं ॥
सुयं मे आउसं ! तेणं भगवता एवमक्खायं ।११एगे आया ।२एगे दंडे १३१एगा किरिया ॥४१एगे लोए ५१एगे अलोए ६|| एगेधम्म ७१एगेअभ्मेटाएगे बंधे।९एगेमोक्खे ।१० एगे पुण्णे १११एगे पावे ॥१२एगे आसवे |१३ एगेसंवरे ।१४।। एगा वेयणा । १५/एगा निजरा।१६। एगे जीवे पाडिकएणं (पडिक्खएणं पा०) सरीरएणं । १७१एगा जीवाणं अपरिआइत्ता विगुव्वणा ।१८१ एगे मणे ।१९।एगा वई १२०१एगे कायवायामे । २१एगा उभ्या १२२१एगा वियती । २३१एगा वियच्च।। २४॥ |एगा गती । २५१एगा आगती । २६१ एगे चयणे ।२७। एगे उववाए । २८१एगा तक्का ।२९।एगा सन्न। ।३०एगा मना ।३११एगा विन्नू ।३२।एगा वेयणा ।३३।एगा छेयणा (प्र० णे) ।३४१एगा भेयणा (प्र० णे) १३५ एगे भरणे अंतिमसारीरियाणं ।३६१एगे संसुद्धे अहाभूए पत्ते । ३७१ एग (प्र० गे) दुक्खे (एगहक्खे पा० ) जीवाणं एग (प्र० गे) भूए ।३८ एगा अहम्मपडिमा जं से आया (जंसि आया पा०) परिकिलेसति । ३९१एगा धम्मपडिमा जं से आया प्रज्जवजाए । ४०१ एगेमणे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि, एगा वइ० एगे कायवायामे० । ४११ एगे उट्ठाणकम्मबलवीरियपुरिसकारपरक्कमे देवासुरमणुयाणं तंसि २ समयंसि । ४२॥
॥श्रीस्थानाङ्ग सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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