Book Title: Adwait Dipika Part 02
Author(s): S Subramanya Shastri
Publisher: Sampurnand Sanskrit Vishvavidyalaya
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________________ पृष्ठ 254 257 259 260 262 264 272 273 274 275 विषयः अपरोक्षवलक्षणं; तत्रानुमित्यादावतिव्याप्तिनिरासः दशमस्त्वमसीतिवाक्यस्यापरोक्षज्ञानजनकत्वम् मनसः साक्षात्कारजनकत्वनिरासः सर्वस्य वेदस्य कार्यपरतापूर्वपक्षनिरासः . विधिपरवेदभागस्याद्वैते तात्पर्यम् / कार्यस्य वेदार्थत्वनिरासः कार्यत्वस्य निर्वचनासहत्वाच्च न लिङर्थता नियोगस्य वाक्यार्थे मुख्यविषयत्वपू० तन्निरासः ब्रह्मणः विधिशेषत्वेन वेदप्रतिपाद्यता पू० कस्य ब्रह्मज्ञानस्य विधेयतेत्यशक्यप्रतिवचनता साक्षात्कारस्य विधेयत्वनिरासः साक्षात्कारविधिमभ्युपेत्य समर्थनम् आत्मज्ञानसन्तानविधिपूर्वपक्षः ज्ञानविधिनिरासेन सिद्धान्तः श्रवणादौ विधिः उपासनाविधिशेषतया विधिसमर्पणपूर्वपक्षनिरासः ब्रह्मणो जगदुपादानत्वं उपादानवे नवीनपक्ष: तत्खण्डनं च परेषां जनिकर्तुः प्रकृतिः इति सूत्रस्य निमित्तपरत्ववादः अनुपादानत्वेऽपि विरोधाभावः मतान्तरोक्तयुक्तीनां विचाराक्षमत्वं ब्रह्मणो जगदुपादानत्वनिर्णयः परोक्तोपादानत्वलक्षणनिरासः स्वमते उपादानलक्षणम् अविद्या जगदुपादानं-तत्रानुमानान्तरम् / जडो घट इत्याद्यनुगतबुद्धिविषयः अविद्या ૨૭ફ 279 281 283 " 286 276 292 293 294 296

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