Book Title: Adinath Vinti
Author(s): Rasila Kadia
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 4
________________ August-2004 कडी : १ कडी : २ कडी : ३ कडी : ४ कडी : ८ अघरां शब्दोना अर्थ हुं (में) Jain Education International हउं मेलविउ कीयउ = करो तव = तो = = जिवीनउ = जीवोने माटे केडउ = केडो सारि = सार / साध जउ जो जोयउ = = मेळव्या जोयु सधाडि = धाड सहित तउं तुं हाकि = हांक / दूर कर दारिद्रमुद्रा छोडि = वारि न = अटकाव ने खोडि = खोड / ऊणप हेला = रमत / झडपथी / सरळताथी कडी : ५ कड़ी : ६-७ व्यतीत = सा [ धु]वाद = सारो वाद / संवाद पूर्वे / अतीतमां गणना = गणतरी बहारना / अगणित जीह = जाणे के / जेनाथी प्रतीत = प्रतीति / जाणे छे. निकृष्टि थाई = कशुं न वळ्युं कल्पु निमोपमानु तेवो मन सौख्य = कृपणपणुं छोडी / प्रसन्नता आपी 61 मननुं सुख कल्पवृक्षनी उपमा आपी शकाय For Private & Personal Use Only मनोर = मनोरथ तिसउ = तेवुं जोगा = योग्य www.jainelibrary.org

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