Book Title: Adhyatma Aradhana
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Taran Taran Sangh Bhopal

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Page 29
________________ ५५. शास्त्र की बात भी बुद्धि रहित होकर मानने से धर्म की हानि होती है। ५६. विवेक को त्यागकर धर्म भी धर्म नहीं रहता। ५७. उलझन और समस्या बाहर संसार में नहीं हैं, मन में हैं, बाहर तो केवल परिस्थितियां हैं। ५८. निश्चिन्त - प्रफुल्ल मन स्वर्ग है तथा उलझा हुआ मन नरक है, जिसके हम स्वयं जिम्मेदार हैं। ५१. जब तक संकट न आये, उसकी चिन्ता करना निराधार है और जब संकट आ जाये तब भय न करें, उत्साह से उसका सामना करें। ६०. वास्तव में कार्य का भार हमें नहीं थकाता है, अरुचि चिन्ता और भय थकाते हैं। ६१. धन कमाना बुरा नहीं है, धन का दुरूपयोग करना बुरा है, शोषण बुरा है, धन का मोह बुरा है, धन का अहंकार बुरा है। ६२. मंजिल पै जिन्हें जाना है, वे शिकवे नहीं करते । शिकवों में जो उलझे हैं, वे पहुंचा नहीं करते | ६३. संयम, सेवा, सत्संग और स्वाध्याय आत्मोन्नति के सोपान हैं। ६४. कमजोर पिट जाता है पर सताने वाला मिट जाता है। ६५. दूसरों के स्वभाव को पहिचानकर तथा दूसरों पर प्रेम द्वारा विजय पाकर ही आप उनसे काम ले सकते हैं तथा स्वयं भी प्रसन्न रह सकते हैं। ६६. बच्चे अपनी शक्ति और क्षमता के अनुरूप ही विकसित होंगे न कि माता-पिता की इच्छा और योजनाओं के अनुरूप । 53 ६७. प्रेम करना ही पर्याप्त नहीं है, प्रेम पूर्ण व्यवहार होना भी आवश्यक है। ६८. जीवन की समस्यायें एक चुनौती है, जिसे हम मनोबल नीति बल और पुरुषार्थ द्वारा जीत सकते हैं। ६९. अपने भावों की संभाल रखो, भाव ही बंध और मोक्ष के कारण हैं। ७०. सिद्धान्त में दृढ़ रहकर भी व्यवहार में मृदु एवं विनम्र रहिये । ७१. व्यवहार कुशलता का उद्देश्य व्यवहार में शुद्धि होता है। परस्पर व्यवहार में अपने से अधिक दूसरों को महत्व देना, दूसरों को सहयोग देना तथा सामाजिक जीवन में पवित्रता एवं मधुरता उत्पन्न करना । - ७२. हम एक सधे हुए मन से कोलाहल और भाग दौड़ के बीच भी सुख और शान्ति में रह सकते हैं। ७३. मन में दीवार खिंच जाने पर मकान में दीवार खिंच जाती है, सहनशीलता क्षमाशीलता उदारता और गंभीरता से काम लें। ७४. परोपकार रत तथा मधुर वातावरण से युक्त परिवार धरती का स्वर्ग होता है। ७५. आपके हृदय के सच्चे प्रेमभाव- करुणाभावक्षमाभाव का प्रभाव दूसरों पर अवश्य पड़ता है। ७६. उज्ज्वल भविष्य की आशा करो उज्ज्वल भविष्य की कल्पना करो भविष्य उज्ज्वल हो जायेगा । ७७. जीवन में सुख की समुज्ज्वल कल्पना करो, आशा - 54 -

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