Book Title: Adhyatma Aradhana
Author(s): Basant Bramhachari
Publisher: Taran Taran Sangh Bhopal

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Page 39
________________ भजन-५ डूब रही रे, नैया भंवरिया में डूब रही रे॥ १. गहरी है नदिया भंवर भारी। कैसे तिरेंजा समझ न परी॥ डूब रही रे, नैया.. २. पापों की नैया वजन भारी। कर्मों ने कर लइ जा असवारी ॥ डूब रही रे, नैया. ३. मान कषाय तो खूबई करें। चारई कषाय तो खूबई करें, धीरज धरम नहीं मन में धरें। डूब रही रे, नैया.. ४. श्रद्धा बिना नहीं कोई उपाय । जासे जो जीवन सफल हो जाये॥ डूब रही रे, नैया. ५. जीना जगत में दिन दो चार। होजा भगत्तू भवदधि पार॥ डूब रही रे, नैया... भजन-६ लगाले प्रभु से लगन,लगाले प्रभु से लगन। नाच रे मयूर मन, होकर के मगन ॥ १. गुरु तारण की देशना, सुन लो चतुर सुजान। तन से न्यारा आत्मा, अपना है भगवान...लगा ले... २. हृदया भीतर आरसी, मुख देखा नहिं जाए। मुख तबही तुम देखियो,जब दिलका धोखा जाए...लगा ले... ३. काजल केरी कोठरी, तैसा ये संसार । ज्ञानी की बलिहारी है, पैठि के निकसन हार...लगा ले... ४. मन की दुविधा न मिटे, मुक्ति कहां से होय। कौड़ी बदले रत्न सा, जन्म चला नर खोय...लगा ले... ५. तू है चेतन आत्मा, विष्णु, बुद्ध जिन राम । ब्रह्मानंद में लीन हो, जाये मुक्ति धाम...लगा ले... भजन-७ ओ सोने वाले अब तो जरा जाग रे । ये है मुक्ति मारग इसमें लाग रे ॥ १. काल अनादि मोह में सोया, अपने को नहीं जाना। रागद्वेष और कर्म जाल का, बुना है ताना-बाना॥ यह नर जन्म पाया है, सौभाग्य रे, ओ सोने वाले.... २. तू है ब्रह्मस्वरूपी चेतन, जड़ शरीर से न्यारा। अहंकार ममकार छोड देनश्वर है जग सारा॥ यह जगतन भोगों से,धर वैराग्य रे, ओ सोने वाले.. ३. भेदज्ञान तत्व निर्णय द्वारा, दृढता उर में धर ले। ब्रह्मानंद मयी शुद्धातम का, आश्रय अब कर ले॥ तू आजा अपने में, पर को त्याग रे, ओ सोने वाले.... देखो नैया भंवरिया में डूब रही रे, नैया..... 74 98

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