Book Title: Acharang ke Kuch Mahattvapurna Sutra Ek Vishleshan
Author(s): Surendra varma
Publisher: Z_Mohanlal_Banthiya_Smruti_Granth_012059.pdf
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________________ स्व: मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ (भविष्य में) संभावना लगती है कि हिंसा की जाएगी। प्रथम प्रकार की हिंसा स्पष्ट ही भूतकाल से प्रेरित हिंसा है क्योंकि विगत में कभी (परिजनों की) हिंसा की गई थी इसलिए व्यक्ति हिंसा करता है / इसे हम प्रतिशोधात्मक हिंसा कह सकते है। इस तरह की हिंसा में विगत हिंसा का बदला लेने के लिए हिंसा की जाती है। द्वितीय प्रकार की हिंसा वर्तमान में हो रही हिंसा के प्रतिक्रिया स्वरूप की जाती है। क्योंकि आज कुछ लोग हिंसा में प्रवृत्त है इसलिए उसका जबाब देने के लिए इस प्रकार की हिंसा में प्रतिक्रिया स्वरूप, जवाबी, आक्रमण किया जाता है। इसे हम प्रतिक्रियात्मक हिंसा कह सकते है। ततीय प्रकार की हिंसा में व्यक्ति भविष्य की आशंका में, इस डर से कि कहीं हमारे ऊपर हिंसा न हो जाए, हिंसा पर उतारू हो जाता है। इस प्रकार की हिंसा को हम आशंकित हिंसा या भयाक्रांत हिंसा कह सकते हैं। यह जानना एक दिलचस्पी का विषय हो सकता है कि आज के विख्यात मनोविश्लेषक एथिक फ्रॉम ने हिंसा के जो अनेक प्ररूप बताए हैं। उनमे भूतकाल प्रेरित (प्रतिशोधात्मक) हिंसा और वर्तमान प्रेरित (प्रतिक्रियात्मक) हिंसा का स्पष्ट उल्लेख हुआ है। उन्होंने हिंसा को एक प्रकार क्रीड़ात्मक हिंसा, भी बताया है लेकिन क्रीडात्मक हिंसा से उनका तात्पर्य मनोरंजन या प्रमोद के लिए हिंसा से न होकर खेलते समय जुडो-कराटे, मुक्केबाजी इत्यादि) में जो हिंसा कभी-कभी हो जाती है उससे है। वे ऐसी क्रीडात्मक हिंसा को बुरा नहीं मानते। उसे वे जीवनोन्मुख मानते हैं। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org