Book Title: Acharang Sutram Part 04
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
View full book text ________________ 556 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन ग्रन्थप्रकाशने चाऽत्र वक्तावरमलात्मजः / “मुथा' आहोर-ग्राम-वास्तव्य: “मुथा" श्री शान्तिलालजित् // 13 // शांतिलालजी मन्त्री च योऽस्ति भूपेन्द्र-सूरि साहित्य-मण्डले / आर्थिकव्यवस्थां तेन कृता सद्गुरुसे विना // 14 // युग्मम् ग्रन्थमुद्रणकार्यं च “दीप-ओफ्सेट' स्वामिना / नीलेश-सहयोगेन हितेशेन कृतं मुदा // 15 // पाटण अक्षराणां विनिवेशः देवनागरी-लिपिषु / उ. गुजरात "मून-कम्प्यूटर" स्वामि-मनोजेन कृतः हृदा // 16 // युग्मम् आचाराङ्गाऽभिधे ग्रन्थे भावानुवादकर्मणि / आचारांगसूत्र चेत् क्षति: स्यात् तदा भोः ! भो: ! शुद्धीकुर्वन्तु सजनाः // 17 // "आहोरी' नाम-टीकायाः लेखनकार्यकुर्वता / अर्जितं चेत् मया पुण्यं सुखीस्युः तेन जन्तवः // 18 // ग्रन्थेऽत्र यैः सहयोगः प्रदत्तोऽस्ति सुसजनैः / तान् तान् कृतज्ञभावेन स्मराम्यहं जयप्रभः // 19 / / : अन्तिम-मङ्गल : जप्त वर्धमानाद्याः अर्हन्तः परमेश्वराः / जयन्तु गुरु-राजेन्द्र-सूरीश्वरा: गुरुवराः // 20 // जयन्तु गुरुदेवाः हे ! श्रीयतीन्द्रसूरीश्वराः ! / जयन्तु साधवः ! साध्व्य: ! श्रावका: ! श्राविकाश भो: ! // 21 // सर्वेऽपि सुखिनः सन्तु सर्वे सन्तु निरामयाः / सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् // 22 // : प्रशस्ति : मालव (मध्य प्रदेश) प्रांतके सिद्धाचल तीर्थ तुल्य शगुंजयावतार श्री मोहनखेडा तीर्थमंडन श्री ऋषभदेव जिनेश्वर के सांनिध्यमें एवं श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरिजी, श्रीमद् यतीन्द्रसूरिजी, एवं श्री विद्याचंद्रसूरिजी के समाधि मंदिर की शीतल छत्र छायामें शासननायक चौबीसवे तीर्थंकर परमात्मा श्री वर्धमान स्वामीजी की पाट -परंपरामें सौधर्म बृहत् तपागच्छ संस्थापक अभिधान राजेन्द्र कोष निर्माता भट्टारकाचार्य श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. के शिष्यरत्न विद्वद्वरेण्य व्याख्यान वाचस्पति अभिधान राजेन्द्रकोषके संपादक श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म. के
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