Book Title: Abhidhan Chintamani kosha
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ प्राक्कथन श्रीमद् हेमचन्द्राचार्यनी कीर्तिगाथानुं वर्णन करवुं एटले सर्वमान्य सोनापर ढोळ चढाववा बराबर छे. तेमनुं व्यक्तित्व, प्रतिभा, विद्वता तथा सर्वतोमुखी शक्ति एटली जगजाहेर छे के जैनज नहि पण अजैनोमां ये भाग्येज कोई हिंदी संस्कृतिनो विद्वान हशे जे श्री. हेमचन्द्राचार्यनी यश-गाथाथी अजाण हशे. "गुजरातना ज्योतिर्धर" थी मांडी "कलिकाल सर्वज्ञ" तरीकेनी एमनी कीर्ति ए वस्तुनी शाख पूरे छे. तेओश्री एक महान जैनाचार्य होवा छतां तेओनी साहित्यविषयक प्रवृत्ति सर्व क्षेत्रमां प्रसरेली हती. काव्य, छंद, व्याकरण, कोश तथा गूढ तत्वज्ञान वगेरे विषयो तेमने इस्तामलकवत् हता. सिद्धराज जयसिंह तथा कुमारपाळ जेवा प्रतापी गूर्जर नरेशोपर तेमनो अप्रतिम प्रभाव तेमनी बुद्धि तेजस्विता तेमज प्रतिष्ठा बतावे छे. एवा महापुरुषनी एक अद्वितीय कृति जनसमाज समक्ष मुकतां अमने आनंद थाय छे. श्रीअभिधानचिंतामणि कोशनी महत्ता तेमज उपयोगितानी रूपरेखा दोरवी ए झवेरी आगळ झवेरातनुं वर्णन करवा बराबर छे. विद्ववर्ग आ अणमोल झवेरातने सारी रीते ओळखे छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 800