Book Title: Aagam Manjusha Mool Kapp Suyam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 20
________________ पुण एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं संनियट्टचास्स्सि इत्तए ।९५। वासावासं पजोनो कप्पइ पाणिपडिग्गहियस्स भिक्लुस्स कणगफुसियमित्तमवि बुद्धिकायंसि निवयमाणंसि पजोसवित्तए, नो से कप्पइ अगिहंसि पिंडवार्य पडिगाहित्ता पजोसवित्तए, पजोसवेमाणस्स सहसा बुट्ठिकाए निवइजा देसं भुचा देसमादाय पाणिणा पाणिं परिपिहिना उरंसि वा णं निलिजिज्जा कक्वंसि बाणं समाहडिजा अहाछत्राणि वा लेणाणि उवागच्छिज्जा रुक्खमूलाणि वा उवागमिजा जहा से पाणिसि(सु) दए वा दगरए वा दगफुसिमा वा नो परिआवजइ. वासावार्स पजो० पा० भिक्खुस्स जंकिंचिबि कणगफुसियमित्तपि निवडति नो से कप्पइ० भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख० वा पवि० वा. वासावासं पज्ञोपडिग्गहरारिम्स भिक्खुस्स नो कप्पड वग्धारियवृद्धिकायंसि गाहावइकुलं मनाए वा पाणाएवा निक्खया पवि० वा. कप्पड़ से अप्पबुडिकायंसि संतरुतरंसि गाहावइकुलं भत्ताएवा पाणाए निक्ख० वा पबि० वा।९६। वासावासं पज्जोसविअस्स निग्गंथस्स वा निम्गंधीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविगुस्स निगिजिम(ग्गच्छि)य२ बुट्टिकाए निवइज्जा कप्पड़ से अहे आरामंसि वा अहे बियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउने भिलिगसूये कप्पड़ से चाउलो. दणे पड़िगाहिनए नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिगाहितए, तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउने भिलिंगसू(लंगुसू)चे पच्छाउत्ते चाउकोदणे कप्पइ से मिलिंगसूवे पड़िगाहित्तए नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिगाहित्तए, नत्थ से पुवागमणेणं दोवि पुवाउत्ताई कप्पंति से दोवि पडिगाहित्तए. तत्थ से पुवागमणेणं दोवि पच्छाउत्ताई एवं नो से कप्पति दावि पडि०।९७१ वासावासं पजो निम्गंथस्स वा निग्गंधीए वा गाहावडकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविठुस्स निगिजिमय २ वुट्टिकाए निवइजा कप्पड़ से अहे आरामंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलसि वा उवागपिछत्तए नो से कप्पड़ पुषगहिएणं भत्तपाणिएणं बेलं उवायणावित्तए. कप्पइ से पुवामेव वियड़गं भुवा पिचा पडिग्गहगं संलिहिय २ संपमजिय २एगाययं भंडगं कटु(प० साबसेसे सूरे) जेणेव उवम्सए नेणेव उवागच्छित्तए, नो से कप्पड़ तं स्यणि तत्थेव उवायणावित्तए !।९८। वासावासं पजो० निम्गंधस्स वा निग्गंधीए वा गाहावाकुल पिंडबायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिजिमय २ बुटिकाए निवइज्जा कप्पड़ से अहे आरामंसि बा० उवागच्छित्तए, नत्थ नो कप्पड एगस्स निम्गंधस्स एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिट्टित्तए, तत्थ नो कप्पड़ एगस्स निगंथम्स दुण्हं निग्गंथीणं एगयओ चिट्टित्तए, तत्थ नो कप्पड दुहं निग्गंधाणं एगाए य निम्गंधीए एगयओ चिट्ठिनए, नन्थ नो कप्पड दह निग्गंधीण य एगयो चिट्विनए, अस्थि या इत्य केइ पंचमे खुड्डए बा खुड्डिया वा अमेसि वा संलोए सपडितुबारे एवं ग्रहं कप्पइ एगयओ चिद्वित्तए. वासावासं : पजो निम्गंधस्स गाहावाकुलं पिंडयायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिजिमय २ ढिकाए निवइजा कप्पड़ से एगाए य अगारीए एगयओ चिट्ठिनए.एवं चउभंगो, अस्थि इत्थ केह पंचमए थेरे वायेरिया वा अमेसि वा संलोए सपदिनुवारे एवं कापड एगयओ थिद्विनए ।९९। वासावास पन्नो० नो कप्पइ निग्गंधाण वा निम्गंधीण वा अपरिष्ण(डिलन)एणं अपरिणयस्स अट्ठाए असणं वा पडिगाहितए. से किमाहु भंते !, इच्छा परो अपरिण्णए भुजिजा इच्छा परो न भजिजा।१००। वासावासं पजोसवियाणं नो कप्पड निरगंधाण वा निग्गंधीण वा उदउल्लेण वा ससिणिद्वेण वा काएर्ण असणं वा० आहारिनए, से किमाह भंते !?. सन सिहाययणा पं० तं०-पाणी पाणिलेहा नहा नहसिहा भमुहा अहरोदा उनरोट्ठा ।१०१। वासावास पजो इह खलु निग्गंधाण या निम्गंधीण वा इमाई अट्ठ सुहमाई जाई छउमन्धेणं निग्गंधण वा निग्गथीए वा अभिखणं २ जाणियवाई पासिअाई पडिलेहियाई भवंति तं०-पाणसुहुमं पणगसुहुमं बीअसुहुमं हरियमुहमं पुण्फसुहमं अंडमुहम रोणसुहम सिणेहसुहम, से कि तं पाणसुहमे ?.२ पंचविहे पं० २०.किण्हे नीले लोहिए हालिरे सुचिडे. अत्यि कुंथु अणुद्धरी नामं जा ठिया अचलमाणा छउमस्याण नो चक्मुफास हश्मागच्छा जा अठिया चलमाणा उमत्थाणं चक्खुफासं हमागच्छद जा उउमत्येणं निम्गंधण वा निस्गंधीए या अभिक्खणं २ जाणिया पासिया पडिलेहियचा हवा, से तं पाणसुहुमे, से किन पणगमुहमे?.२पंचविह कन-किहे जाव मुकिले. अस्थि पणगसुहुमे नहासमाणवण्णे नामं पं. जे उठमत्येणं निगयेण वा निमांधीए वा जाच पहिलेहिओ भा. से तं पण. गसुहमे, से किं तं वीअसुमे,२पंचविहे पं० त०-किण्हे जाच सुकिरहे. अन्थि बीअमुहुमे कपिणयासमाणवण्णए नामं पं० जे उडमन्येणं निर्माण बाजाव पडिलेहिया भवा, से बीअसहमे से कितं हरियसहमे :.२ पंचविह पं...किण्हे जाव मुकि. अस्थि हरिजमुदुम पुढवासमाणवण्णए नाम पंज निग्गयेण वा. अभिक्रवण २जाणियर पासिया पडिहियो भवइ. से तं हरियमुहमे, से कि त पुष्फसहमे ?, २ पंचविहे पं० २०-किण्हे जाव सुकिले. अत्यि पुष्पमुहमे सक्ससमाणवण्णे नामं पं. जे छउमन्थेणं निग्गंधेण बाक जाणियो जाव पडिग्रहयो भवा. सेनं पुष्फरमे, से कितं अंडसुहमे ?.२पंचविहे पं० नं०- उईस(दयं)टे उक्कलियंड पिपीलिअंडे हलिअंडे हातोहलिअंडे जे निग्गयेण वा जाव पडिलेहियो भवन, से तं अंडसुहमे, से कितं लेणमुहमे १.२ पंचविहे पं० २०- उत्तिंगलेणे भिंगुलेणे उजुए नालमूलए संनुक्काबहे नाम पंचमे जे निर्माण वा जाणिय (२५२) २००८ कल्पमूत्र-बारसा - मुनि दीपरबसागर

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