Book Title: Aagam Manjusha 43 Mulsuttam Mool 04 Uttarjjhayanam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 30
________________ पिसाय भूया जाता E तु अंतरं ॥१५५०॥ एएसि वन्नओ०॥१॥ चउप्पया य परिसप्पा, दुविहा बलयरा भवे। चउप्पया चउविहा उ, ते मे कित्तयओ सुण॥२॥ एगखुरा दुखुरा चेव, गंडीपय सनष्फया। हयमाइ गोणमाई, गय माई सीहमाइणो ॥ ३॥ भुओरगपरिसप्पा, परिसप्पा दुविहा भवे। गोहाई अहिमाईया, इविक्का गहा भवे ॥४॥ लोएगदेसे ते सच्चे, न सवत्थ वियाहिया। इत्तो कालविभागं तु, तेसि बुच्छ चाउविहं ॥५॥ संतई पप्प०॥६॥ पलिओवमा उ तिन्नि उ, उक्कोसेण वियाहिया। आउठिई थलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥ ७॥ पलिओषमा उ तिनि उ, उक्कोसेर्ण विवाहिया। पुषकोडीपुहर्त तु. अंतोमुत्तं जहन्नया | ॥८॥ कायठिई बलयराणं, अंतरं तेसिमं भवे। कालं अणंतमुक्कोसं, अंतोमुहुर्त जहन्नयं ॥९॥ विजदंमि सए काए, थलयराणं तु अंतरं। चम्मे उ लोमपक्खीया, तइया समुग्गपक्खिया ॥१५६०॥ विययपक्खी य बोदवा, पक्खिणो य चउबिहा। लोएगदेसे ते सो, न सबत्य वियाहिया ॥१॥ संतई पप्प०॥२॥ पलिओवमस्स भागो, असंखिजइमो भवे । आउठिई खहयराणं, अंतोमुहुतं जहन्नयं ॥३॥ असंखभागो पलियस्स, उक्कोसेण उ साहिओ। पुष्चकोडीपुहुत्तेणं, अंतोमुहुतं जहन्नयं ॥४॥ कायठिई खयराणं, अंतरं ते( रेयं )वियाहियं । अणंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥५॥ एएसि वन्नओ०॥६॥ मणुया दुविहभेया उ, ते मे कित्तयओ सुण । समुच्छिमाइ मणुया, गम्भवक्कंतिया तहा ॥७॥ गम्भवक्कंतिया जे उ, तिविहा ते वियाहिया। अकम्मकम्मभूमा य, अंतरहीवगा तहा ॥८॥ पनरस तीसइविहा, भेआ अट्ठवीसई । संखा उ कमसो तेसिं, इह एसा वियाहिया ॥९॥ समुच्छिमाण एसेव, भेओ होइ आहिओ। लोगस्स एगदेसंमि, ते सोऽवि विवाहिया ॥१५७०॥ संतई पप्प० ॥१॥ पलिओवमाई तिन्नि उ, उक्कोसेण वियाहिया। आउठिई मणुयाणं, अंतोमुहुतं जहन्नयं ॥२॥ पलिओवमाई तिन्नि उ, उक्कोसेण वियाहिया । पुषकोडिपुहुत्तेणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥३॥ कायठिई मणुयाण, अंतरं तेसिमं भवे। अणंतकालमुक्कोस, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥ ४॥ एएसिं वन्नओ०॥५॥ देवा चउबिहा बुत्ता, ते मे कित्तयओ सुण। भोमिज वाणमंतर, जोइस वेमाणिया तहा ॥६॥ दसहा उ भवणवासी, अट्टहा वणचारिणो। पंचविहा जोइसिया, दुविहा वेमाणिया तहा ॥७॥ असुरा नाग सुवण्णा, विजू अम्गी य आहिया। दीवोदही दिसा वाया, यणिया में य, रक्खसा किन्नरा य किंपुरिसा। महोरगा य गंधवा, अढविहा वाणमंतरा ॥९॥चंदा सूरा य नक्खत्ता, गहा तारागणा तहा। दिसाबिचारिणो दुविहा ते पकित्तिया। कप्पोवगा य बोदवा, कप्पाईया तहेब य ॥१॥ कप्पोवगा बारसहा, सोहम्मीसाणगा तहा। सर्णकुमारमाहिंदा, बंभलोगा य लंतगा॥२॥ महासुक्का सहस्सारा, आणया पाणया तहा। आरणा अचुया चेव, इइ कप्पोवगा सुरा ॥३॥ कप्पाइया उजे देवा, दुबिहा ते वियाहिया। गेविनगाणुत्तरा चेव, गेविजा नवविहा तहिं ॥४॥ हिडिमाहिट्ठिमा चेव, हिडिमामज्झिमा तहा। हिटिमाउवरिमा चेव, मज्झिमाहिडिमा तहा ॥ ५॥ मज्झिमामज्झिमा चेव, मज्झिमाउवरिमा तहा। उवरिमाहिट्ठिमा चेव, उवरिमामज्झिमा तहा ॥ ६॥ उवरिमाउवरिमा चेव, इह गेविजगा सुरा। विजया वेजयंता य, जयंता अप्पराजिया ॥७॥ सवट्ठसिद्धगा चेव, पंचहाऽणुत्तरा सुरा। इइ वेमाणिया एए, गहा एवमायओ ॥८॥ लोगस्स एगदेसंमि, ते सव्वे परिकित्तिया। इत्तो कालविभागं तु, तेसि बुच्छ चउब्विहं ॥९॥ संतई पप्पडणाईया, अपज्जवसियाविय। ठिई पहुच साईया, सपजवसियापिय ॥१५९०॥ साहीयं सागरं इकं, उक्कोसेण ठिई भवे। भोमिजाण जहनेणं, दसवाससहस्सिया ॥१॥ पलिओचममेगं नु, उकोसण वियाहियं । वंतराणं जहन्नेणं, दसवाससहस्सिया ॥२॥ पलिओवममेर्ग तु, वासलक्खेण साहियं। पलिओवमट्ठभागो, जोइसेसु जहनिया ॥३॥ दो चेव सागराई, उकोसेणं वियाहिया। सोहम्मंमि जहन्नेणं, एगं च पलिओवमं ॥४॥ सागरा साहिया दुनि, उकोसेण वियाहिया। ईसाणमि जहन्नेणं, साहियं पलिओवमं ॥५॥ सागराणि य सत्तेव, उकोसेण ठिई भवे। सर्णकुमारे जहन्नेणं, दुखि ऊ सागरोवमा ॥६॥ सागरा साहिया सत्त, उक्कोसेण वियाहिया। माहिदमि जहन्नेणं, साहिया दुन्नि सागरा ॥७॥ दस चेव सागराई, उक्कोसेण वियाहिया। बंभलोए जहन्नेणं, सन उ सागरोवमा ॥८॥ चउडस उ सागराई, ।लंतगमि जहन्नेणं, दस उसागरोवमा ॥९॥ सत्तरस सागराई, उक्कोसेण वियाहिया। महासुके जहन्नेणं, चउद्दस सागरोवमा ॥१६००॥ अट्ठारस सागराई, उक्कोसण वियाहिया स्सारे जहन्नेणं, सत्तरस सागरोवमा॥१॥सागरा अउणवीसं तु, उक्कोसेण ठिई भवे। आणयमिजहन्नेर्ण, अट्ठारस सागरोवमा ॥२॥ वीस तु (सई)सागराई तु, उक्कोसेण ठिई भवे। पाणयंमि जहन्नेणं, सागरा अउणवीसई ॥३॥ सागरा इकवीसं तु, उक्कोसेण ठिई भये। आरणमि जहन्नेणं, बीसई सागरोवमा ॥४॥ बाबीस सागराई, उक्कोसेण ठिई भवे। अचुमि जहन्नेणं, सागरा इकवीसई ॥५॥ तेवीससागराई, उक्कोसेणं ठिई भवे। पढममि जहन्नेणं, बावीसं सागरोवमा ॥६॥ चउवीसं सागराई, उक्कोसेण ठिई भवे। बिइयंमि जहन्नेणं, तेवीसं सागरोवमा ॥७॥ पणवीस सागरा ऊ, उक्कोसेण ठिई भवे। नइयंमि जहन्नेणं.चउवीसं सागरोवमा ॥८॥ छब्बीस सागराई, उकोसेण ठिई भवे। चउत्थयंमि जहन्नेणं, सागरा पणवीसई ॥९॥ सागरा सत्तवीस तु, उकोसेण ठिई भवे। पंचमंमि जहन्नेणं, सागरा उछवीसई ॥१६१०॥ सागरा अट्टवीसं तु, उक्कोसेणं ठिई भये। छटुंमि जहन्नेणं, सागरा सत्तवीसई ॥१॥ सागरा अउणतीसं तु, उक्कोसेण ठिई भवे। सत्तमंमि जहन्नेणं, सागरा अहवीसई ॥२॥ तीसं तु सागराई, उक्कोसेणं ठिई भवे। अट्ठमंमि जहन्नेणं, सागरा अउणतीसई ॥३॥ सागरा इकतीसंतु, उक्कोसेण ठिई भवे। नवमंमि जहनेणं, तीसई सागरोबमा ४ा तित्तीस सागरा ऊ, उक्कोसेण ठिई भवे। चउसुंपि विजयाईसुं, जहन्ना १२९७ उत्तराध्ययनानि मूलसूत्रं, असम/-8 मुनि दीपरनसागर

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