Book Title: Aagam Manjusha 21 Uvangsuttam Mool 10 Pupfiya
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ राया, सामी समोसरिने, नेर्ण कालेण माणिभहे देवे सभाए सहम्माए माणिमहंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुष्णभदो तहेव आगमण नविही. पुयभवपुच्छा मणिबई नगरी माणिभद्दे गाहावई घराणं अंतिए पयजा एकारस अंगाई अहिज्जति बहूई वासाइं परियानो मासिया सलेहणा सहि भनाई माणिभदे विमाणे देवत्ताए उपवानो, दो सागरोवमाई ठिई, महाविदेहे वासे सिग्झिहिति०, एवं खलु जंबू ! निक्खेवओ // माणिभद्दज्झयण 10.6 // एवं दत्ते सिवे पले अणाढिते सो जहा पुण्णभरे देवे, ससि दो सागरोवमाई ठिती, विमाणा देवसरिसनामा, पुत्रभवे दत्ते चंदणाणामए सिबे मिहिलाए पलो हस्थिणापुरे नगरे अणाढिते कार्कदिते चेहयाई जहा संगहणीए।२८॥ 3 वग्गो 7.10 // पुफिया समना १०॥आजम-२२→ श्रीपुष्फचूलिया जहणं भते! समणेणं भगवता उक्लेवओ जाव दस अज्हायणा पं00- सिरि हिरि घिति कित्तीओ बुदी लच्छी

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9