Book Title: Aagam Manjusha 21 Uvangsuttam Mool 10 Pupfiya
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [२१] पुप्फियाणं * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com.M.Ed., Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * ***%, RPI अबुए. सनत्य उकोसठिई भाणियबा, महाविदेहे सिद्धी । २२॥९.३-१०॥ कप्पडिसियाओ समत्ताओ, चितितो वग्गो दस अज्झयणा ९ आगम-२१→ श्रीपुफिया जति णं भंते! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उबंगाणं - दोचस्स वग्गस्स कप्पवडिसियाणं अयमट्टे पं० तचस्स णं भंते ! वग्गस्स पुफियाणं उबंगाणं के अट्टे पं०?, एवं खलु जंचू ! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं तचस्स वग्गस्स पुफियाणं दस अज्झयणा पं० २०. चंदे मूरे मुके बहुपुनिय S| पुन्न माणिभहे य। दत्ते सिवे वले या अणाढिए चेव बोद्धवे ॥२॥ जड़ ण भंते ! समणेणं जाच संपत्तेणं पुफियाणं दस अज्झयणा पं० पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स पुफियाणं के अट्टे पं०?, एवं खलु जंबू ! नेणं कालेण रायगिह नामं | नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, तेणं कालेणं० सामी समोसढे, परिसा निग्गया, तेणं कालेणं चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिसए विमाणे समाए सुहम्माए चंदसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहम्सीहि जाब विहरति, इमं च णं केवलकार्प जंचुदीव दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे २पासति समर्ण भगवं महावीर जहा सरियाभे आभिओगे देवे सदापित्ता जाव सुरिंदाभिगमणजोगं करेत्तातमाणत्तियं पचप्पिणनि, मूसरा घंटा, जाव विउवणा, नवरं जाणविमाणं जोयणसहस्सविच्छिन्नं अद्धतेवहिजोयणसमूसियं महिंदज्झतो पणुवीसं जोयणमूसितो सेसं जहा सूरियाभस्स जाच आगतो नट्टविही तहेव पडिगतो, भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं भंते! पुच्छा, कूडागारसालादिद्रुतेण तहेव सरीरं अणुपविट्ठा, पुषभवो-एवं खलु गो०! तेणं कालेणं० सावत्थी नामं नयरी होत्था, कोट्ठए चेहए, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए अंगती नाम गाहाबती होत्या अड्ढे जाव अपरिभूते, तते णं से अंगती गाहावती सावत्थीए नयरीए बहूणं नगरनिगम जहा आणंदो, तेणं कालेणं० पासे णं अरहा पुरिसादाणीए आदिकरे जहा महावीरो नबुस्सेहे सोलसहिं समणसाहस्सीहिं अहतीसाए अजियासाहस्सीहिं जाव कोढते समोसढे, परिसा निम्गया, तते णं से अंगती गाहावती इमीसे कहाए लबट्टे समाणे हद्वे जहा कत्तिओ सेट्ठी तहा निग्गच्छति जाव पज्जुवासति, धम्मं सोचा निसम्म जं नवरं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्तं कुडुंचे ठावेमि तते णं अहं देवाणुप्पियाणं जाच परयामि, जहा गंगदत्तो तहा पतिते जाव गुत्तभयारी, तते णं से अंगती अणगारे पासस्स अरहतो तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जति त्ता चहूहिं चउत्थ जाव भावमाणो विहरइ, बहुई वासाई ८९९ निरयावल्यायपांगपंचकं. किस मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सामन्नपरियागं पाउणति ना अद्धमासियाए संदेहणाए नी भत्ताई अणसणाए छेदिना किंचिचिराहियसामने कालमासे कालं किच्चा चंदवडिसए विमाणे उववातसभाते देवसयणिजसि देवदूतरिए चंदे जोइसिदत्ताए उनमे तने णं से चंदे जोइसराया अणोपले समाणे पंचविहाए पत्तीए पजत्तीभावं गच्छइ, तंजहा- आहारपजत्तीए सरीर इंदिय० आणपाण० भासामणपजत्तीए भावेमाणे विहरह. चंदस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरो केवइयं कालं ठिती पं० १, गो० ! पलिओषमं वाससयसहस्समम्महियं एवं खलु गो० ! चंदस्स जान जोतिसरन्नो सा दिवा देविड्ढी०, चंदे णं भंते! जोइसिंदे जोइसराया ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं० चइत्ता कहिं गच्छहिति ०१, गो० ! महाविदेहे वासे जाई कुलाई० तओ पच्छा संसारमउविग्गे सामन्नं पडिवजइ कम्मं खवेइ तज सिज्झिहिति, एवं खलु जंबू ! समणेणं० निक्लेवओ । २३ ॥ चंद्रज्झयणं १०१ ॥ जइ र्ण भंते! समणेण भगवया जाब पुष्क्रियाणं पढ़मस्स अज्झयणस्स जाव अयमद्वे पं० दोषस्स णं भंते! अज्झयणस्स पुष्प्रियाणं समणेणं भगवता जाव संपत्तेर्ण के अठ्ठे पं०१, एवं खलु जंबू तेणं कालेणं० रायगिहे नगरे, गुणसिलए चेहए, सेणिए राया, समोसरणं जहा चंदो नहा सूरोऽपि आगओ जान नहविहिं उपसिना पडिगतो, पुत्रभत्रपुच्छा, सावत्थी नगरी कोट्ठए चेइए सुपतिट्टे नाम गाहावई होत्या अड्डे जहेब अंगती जाव विहरति, पासो समोसढो, जहा अंगती तहेब पञ्चइए, तब विराहिय सामने जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं एवं खलु जंबू ! समणेणं० निक्खेवओ। २४ ॥ सूरायणं १०-२ ॥ ज णं भंते! समणेण भगवता जाव संपलेणं उक्लेवतो भाणियशो, रायगिहे नगरे, गुणसिलए चेइए, सेगिए राया, सामी समोसढे, परिक्षा निग्गया, तेणं कालेणं० सुके महम्महे सुकवर्डिसए त्रिमाणे सुकंसि सीहासांसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहेव चंदो तहेब आगओ नविहिं उपदंसित्ता पडिगतो, भंते! ति० कूडागारसाला०, पुत्रभवपुच्छा, एवं खलु गो०! तेणं कालेणं० वाणारसी नाम नयरी होत्या, तत्थ णं वाणारसीए नयरीए अंबसालवणे, सोमिले नाम माहणे परिवसति अड्ढे जाव अपरिभूते रिउडेय जाव सुपरिनिट्ठिते, पासे० समोसढे, परिसा पज्जुवासति, तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स इमे एतारूचे अज्झत्थिए० एवं खलु पासे अरहा पुरिसादाणीए पुत्राणुपुर्वि जाव अंत्रसालवणे विहरति तं गच्छामि णं पासस्स अरहतो अंतिए पाउन्भवामि, इमाई चणं एयारूबाई अट्ठाई हेऊ जहा पण्णत्तीए सोमिलो निग्गतो खंडियविहूणो जाव एवं क्यासी जत्ता ते भंते! जवणिजं च ते भंते! पुच्छा सरिसच्या मासा कुलत्या एगे भवं जाव संबुद्धे सावगधम्मं पडिवजित्ता पडिगते, तते र्ण पासे अरहा अण्णया कदायी वाणारसीओ नगरीओ अंबसालवणातो चेइयाओ पडिनिक्खमति त्ता बहिया जणवयविहारं विहरति, तते णं से सोमिले माहणे अण्णदा कदायि असादुदंसणेण य अपज्जुवासणताए य मिच्छलफ्ज्जवेहिं परिवढमाणेहिं २ सम्मत्तपज्जवेहिं परिहायमाणेहिं २ मिच्छत्तं पडिवचे, तते णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अण्णदा कदायि पुत्ररत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु अह वाणास्सीए नयरीए सोमिले नाम माहणे अचंतमाहणकुलप्पसूए तते गं मए क्याई चिण्णाई वेदा य अहीया दारा परिणीया गच्मा आहूया पुत्ता जणिता इड्ढीओ समाणीयाओ पसुवधा कया जा जा दक्खिणा दिना अतिही पूजिता अग्मी हुया ज्या निक्खित्ता, तं सेयं खलु ममं इदाणिं करूं जाव जलते वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंचारामा रोवावित्तए, एवं माउलिंगा विडा कविट्टा चिंचा पुष्फारामा सेवावित्तए, एवं संपेति ताक जाब जलते बाणारसीए नयरीए बहिया अंचारामे य जात्र पुष्कारामे य रोवावेति, तते णं बहवे अंचारामा य जाव पुण्फारामा य अणुपुत्रेणं सारक्खिजमाणा संगोविजमाणा संवनिमाणा आरामा जाता किव्हा किष्होभासा जात्र रम्मा महामेहनिकुरंबभूता पत्तिया पुष्फिया फलिया हरियगरेरिज्जमाणसिरिया अतीव २ उवसोभेमाणा २ चिट्ठति, तते णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अण्णदा कदायि पुत्ररत्तावरत्तकालसमयंसि कुर्डुबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्मत्थिए जाब समुप्पजित्था एवं खलु अहं वाणारसीए जयरीए सोमिले नाम माहणे अचंतमाहणकुलप्पसूते, तते गं मए वयाई चिण्णाई जाय जूवा णिक्खित्ता तते गं मए वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंधारामा जाव पुप्फारामा य रोवाविया, तं सेयं खलु ममं इदाणिं कलं जाव जलते सुबहु लोहकडाहकडुच्छ्रयं संचियं तापसभंड घडावित्ता विउलं असणं मित्तनाइ० आमंतिता तं मित्तनाणियग० विउलेणं असण० जाव सम्मानित्ता तस्सेव मित्त जाब जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता तं मित्तनाइ जाव आपुच्छित्ता सुबहु लोहकडाहकच्छुयतबियतावस मंडगं गहाय जे इमे गंगाकूले पाणपत्या तासा भवति, नं०- होत्तिया पोतिया कोलिया जंनती सड्ढती थालती हुंबउट्ठा दंतुक्खलिया उम्मजगा संमज्जगा निमज्जगा संपक्खालगा दक्खिणकूला उत्तरकूला संखधमा कूलधमा मियलुद्धया हत्थिताबसा उदंडा दिसापोक्खिणो वकवासिणो चिलवासिणो जलवासिणी खम् लिया अंशुभक्खिणो वायुभक्खिणी सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुष्पाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलतयपत्तपुप्फफलाहारा जलाभिसेयकटिणगायभूता आयावणाहिं पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियंपिव अप्पाणं करेमाणा विहरंति, तत्थ णं जे ते दिसापोक्खिया तावसा तेसिं अंतिए दिसापोक्खियतावसत्ताए पचइत्तए, पञ्चयितेऽविय णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिव्हिस्सामि कप्पति में जावजीवाए छट्टंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचकवालेणं तवोकम्मेणं उड़ढं वाहातो पगिज्झिय २ सूराभिमुहस्त आतावणभूमीए आतावेमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइ ता कलं जाव जलते सुबहं लोह जात्र दिसापोक्खियतावसत्ताए पइए, पइएविय णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिन्हइ ता पढमं छट्ठक्खमणं उपसंपजित्ताणं विहरति, तते णं सोमिले माहणे रिसी पढमच्छट्टक्खमणपारणंसि आयावणभूमीए पच्चरति त्ता बागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवा० ता कढिणसंकाइयं गेण्हति त्ता पुरच्छिमं दिसिं पुक्खेति पुरच्छिमाए दिलाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खड सोमिलमाहणरिसिं, त्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुष्पाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउत्तिकट्टु पुरच्छिमं दिसं पसरति ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाब हरियाणि य ताई गेहति किटिणसंकाइयं भरेति ता मे य कुसे य पत्तामोर्ड च समिहाओ य कट्टाणि य गेहति त्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवा० ता किढिणसंकाइयगं ठवेति त्ता वेदिं व्ड़्ढेति ता उबलेचणसंमज्जणं करेति ता दम्भकल (कु)सहत्थगते जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवाः त्ता गंगं महानदीं ओगाहति ता जलमजणं करेति ता जलकिड्ड करेति त्ता जलाभिसेयं करेति त्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए देवपिडकयकज्जे दग्भकल(कु) सहत्थगते गंगातो महानदीओ पच्चुत्तरति ता जेणेव सते उडए तेणेव उवा० त्ता दम्भे य कुसे य बालुयाए (२२५) ९०० निरयावल्या पांगपंचकं, पुष्क्रिया मुनि दीपरत्नसागर 4 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यवेदि एति ना सस्यं करेति ना अरणि करेति त्ता सरएणं अरणि महेति ता अग्गिं पाडेति ता अरिंग संधुकेति त्ता समिहा कट्टाणि परिक्खिवति त्ता अरिंग उज्जालेति त्ता 'अग्गिस्स दाहिणे पासे, सत्तंगाई समादहे नं० - सकथं चक्कलं ठाणं, सिज्जं भंडं कमंडलुं । दंडदानं तहप्पाणं, अह ताई समादहे ॥ ३ ॥ मधुणा य घएण य तंदुलेहि य अग्गिं हुगड, चरं साधेति त्ता बलिं वइस्सदेवं करेति त्ता अतिहिपूयं करेति ता तज पच्छा अप्पणा आहारं आहारेति, तणं सोमिले माहणरिसी दोचं छट्टक्समर्णः दोसि छुट्टक्खमणपारणगंसि तं चैव सवं भाणियां जाव आहारं आहारेति, नवरं इमं नाणत्तं दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खड सोमिलं माहणरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव अणुजाणउत्तिकट्टु दाहिणं दिसिं पसरति, एवं पञ्चत्थिमेणं वरुणे महाराया जाव पचत्थिमं दिसिं पसरति, उत्तरेणं वेसमणे महाराया जाब उत्तरं दिसिं पसरति, पुइदिसागमेणं चत्तारिवि दिसाओ भाणिओ जाब आहार आहारेन, तने णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स अण्णया कयायि पुत्ररत्तावरत्तकालसमयंसि अणिच जागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्यजित्था एवं खलु अहं वाणारसीए नगरीए सोमिले नामं माहणरिसी अनंतमाहणकुलप्पसूए, तते णं मए वयाई चिण्णाई जात्र जूवा निक्खित्ता, तते णं भए वाणारसीए जाव पुप्फारामा य जाव रोविता, तते णं मम सुबहुलोह जाव घडावित्ता जाब जेवपुत्तं ठावत्ता जाब जेनं पुच्छित्ता सुबलोह जाब गहाय मुंडे पत्रइएऽविय णं समाणे उछट्टेणं जाव विहरति, तं सेयं खलु ममं इयाणि कलं जाव जलते बहवे तावसे दिट्ठाभडे य पुवसंगतिए य परियायसंगतिए य आपुच्छित्ता आसमसंसि - याणि यच सतसा अणुमाणइत्ता बागलवत्थनियत्यस्स कढिणसंकाइयगहितसभंडोवकरणस्स कट्टमुद्दाए मुहं बंधित्ता उत्तरदिसाए उत्तराभिमुहस्स महपत्थाणं पत्थावित्तए, एवं संपेहेति ना का जाव जलते बहवे तावसे य दिट्टाभट्ठे य पुवसंगतिते य तं चेत्र जाव कटुमुदाए मुहं बंधति ता अयमेतारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हति जत्थेव णं अहं जलंसि वा थलंसि वा दुग्गंसि वा निनंसि वा पडतंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्खलिन वा वडिल वा नो खलु मे कप्पति पबुट्टित्तएत्तिकट्टु अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिन्हति त्ता उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहं महपत्थाणं पत्थिए, से सोमिले माहणरिसी पुत्रावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागते, असोगवरपायवस्स अहे कढिणसंकाइयं ठवेति वेदि वइटेड त्ता उचलेवणसंमजणं करेति त्ता दम्भकुसहत्थगते जेणेव गंगा महानई जहा सियो जाव गंगातो महानईओ पचत्तरइ ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवा० ता दम्भेि कुसेहिय बालाए वेदि स्नेति ता सरगं करेति जाय बलिं वइस्सदेवं करेति त्ता कट्टमुद्दाए मुहं बंधति ता तुसिणीए संचिति तते णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स पुत्ररत्तावरनकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउच्भूते तते र्ण से देवे सोमिलं माणं एवं वयासी-भो सोमिलमाहणा! पत्रइया दुपइतं ते, तते णं से सोमिले तस्स देवस्स दोचंपि तचंपि एयमहं नो आढाति नो परिजाणइ जाव तुसिणीए संचिट्ठति, तते गं से देवे सोमिलेणं माहणरिसिणा अणाढाइजमाणे जामेव दिसि पाउ भूते नामेव जाव पडिगते, तते गं से सोमिले कई जाव जलते बागलवत्थनियत्थे कठिणसंकाइयं गहियग्गिहोत्तभंडोवकरणे कट्टमुदाए मुहं बंधति त्ता उत्तराभिमुद्दे संपत्थिते, तते णं से सोमिले चितियदिवसमि पुत्रावरण्कालसमयंसि जेणेव सत्तिवने अहे कढिणसंकाइयं ठवेति वेतिं वड्डेति जहा असोगबरपायचे जाव अग्गिं हुणति कट्टमुद्दा मुहं बंधति तुसिणीए संचिदृति, तने णं तस्स सोमिलस्स पुवरत्तावरतकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउचभूए. नते णं से देवे अंतलिक्खपडिबन्ने जहा असोगवरपायवे जाव पडिगते, तते गं से सोमिले का जाव जलते बागलवत्थनियत्थे कठिणसंकाइयं गेण्हति त्ता कट्टमुदाए मुहं बंधति त्ता उत्तरहिसाए उत्तराभिमुद्दे संपथिने, तनेणं से सोमिले तनियदिवसम्मि पुवावरण्ह कालसमयंसि जेणेव असोगवरपायचे तेणेव उवा ना असोगवरपायवस्स अहे कढणसंकाइयं ठवेति वेतिं वइति जाव गंगं महानई पच्चुत्तरनि ता जेणेव असोगत्ररपायवे तेणेव उवा० ना वेति रएनि ना कट्टमुदाए मुहं बंधन ना तुसिणीए संचिति, तने णं तस्स सोमिलस्स पुत्ररत्तावरन्तकाले एगे देवे अंतियं पाउः तं चैव भणति जाव पडिगने, तने णं से सोमिले जाब जलते बागलवत्थनियत्थे कठिणसंकाइयं जावकमुदाए मुहं बंधन ना उत्तराए दिलाए संपत्थिए, तते णं से सोमिले चउत्थदिवसे पुष्वावरण्ह्कालसमयंसि जेणेव वडपायचे तेणेव उवागते वडपायचस्स अहे कठिण संठवेति ता वेई वड्ढेति उवलेवणसंमज्जणं करेति जाव कट्टमुहाए मुहं धतिः तुसिणीए संचिद्वति, तते णं तस्स सोमिलस्स पुवरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउ० तं चैव भगति जाव पडिगते, तते गं से सोमिले जात्र जलते बागलवत्थनियत्थे किढिणसंकाइयं जाव कट्टमुद्दाए मुहं बंधनिता उत्तराए उत्तराभिमुहे संपत्धिने, तते णं से सोमिले पंचमदिवसम्मि पुष्वावरण्हकालसमयंसि जेणेव उंचरपायचे उंचरपायत्रस्स अहे कठिणसंकाइयं ठवेति वेई बढेति जाव कट्टमुद्दाए मुहं बंधनि जाव तुसिणीए संविद्वति, नणं तम्स सोमिलमाहणस्स पुत्ररत्तावरन्तकाले एगे देवे जाव एवं क्यासी-हंभो सोमिला पवइया दुप्पवइयं ते पढमं व भणति तहेब तुसिणीए संचिति देवो दोचंपि तचंपि वदति सोमिला पवइया दुप्पशइयं ते तए णं से सोमिले तेणं देवेणं दोपि तपि एवं वृत्ते समाणे तं देवं एवं वयासी कहणणं देवाणुप्पिया! मम दुप्पइतं ?, तते गं से देवे सोमिलं माहणं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया! तुमं पासम्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतियं पंचाए सन सिक्खावए दुवालसविहे सावगधम्मे पडिवले. नए णं तत्र अण्णदा कदाइ पुरतः कुटुंब जाव पुवचितितं देवो उच्चारेति जाव जेणेत्र असोगवरपायचे तेणेव उवाः ता कढिणसंकाइयं जाव तुसिणीए संविट्टसि तते गं पुवरनावरनकाले तब अंतियं पाउन्भवामि हंभो सोमिला! पवइया दुप्पवतियं ते तह चैव देवो नियवयणं भणति जाब पंचमदिवसम्मि पुत्रावरण्हकालसमर्थसि जेणेव उंबरवरपायचे तेणेव उवागने कढिणसंकाइयं दवेसि वेदिं वदेसि उबलेवणं समजणं करेसि त्ता कट्टमुदाए मुहं बंधसि ना तुसिणीए संचिहसि तं एवं खलु देवाणुप्पिया तब दुष्पवयितं तते गं से सोमिले तं देवं एवं वयासी कहणणं देवाणुप्पिया मम सुप्पइतं ? तने णं से देवे सोमिल एवं वयासी जड़ णं तुमं देवाणुपिया ! इयाणिं पुत्रपडिवण्णाई पंचअणुवयाई सयमेव उवसंपजिनाणं विहरसि तो णं तुज्झ इदाणिं सुपवइयं भविता तते गं से देवे सोमिल बंदति नम॑सति ना जामेव दिसि पाउ भूने जाव पडिगते, तणं सोमिले माहरिसी तेणं देवेणं एवं वृत्ते समाणे पुत्रपडिवन्नाई पंच अणुब्रयाई सयमेव उवसंपजित्ताणं विहरति, तते णं से सोमिले बहूहि चउत्थछट्टहमजात्रमासद्मासखमणेहिं विश्वित्नेहिं तवोवहाणेहिं अप्पानं भावेमाणे ९०१ निरयावल्यापांग चर्कपुफियाण मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणति ता अद्धमासियाए सलेहणाए अनाणं झुसेति ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेति ना नस्स ठाणस्स अणायोइयपडिकंने विराहियसम्मत्ते कालमासे कालं किचा मुक्कबडिसए विमाणे उवधानसभाए देवसयणिजंसि जाव ओगाहणाए सुकमहग्गहत्ताए उववन्ने. तते णं से सुके महम्गहे अहणोववन्ने समाणे जाव भासामणपजनीए०, एवं खलु गो०' सुकेणं महम्गहेणं सा दिवा जाव अभिसमभागया, एगं पलिओवर्म ठिती, सुके णं भंते ! महम्महे तातो देवलोगाओ आउखएणं कहिं ग?. गो० महाविदेहे वासे सिज्झिहिति०, एवं खलु जंचू ! समर्ण निक्लेवओ।२५॥ सुफज्झयणं १०.३॥ जद्द णं भंते ! उक्खेवओ, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० रायगिहे नाम नगरे, गुणसिलए चेइए..सेणिए राया, सामी समोसडे, परिसा निम्गया, नेणं कालेण० बहुपूनिया देवी सोहम्मे कप्पे बहुपुनिए विमाणे सभाए सुहम्माए बहुपुनियंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसा माणी विहरह. इमच ण कवलकप्प जचुहावदाव विउलण आहिणा आभाएमाणी २पासात समण भगय महावार जहा सरियामा जाब णमंसित्तासीहासणवरसि पुरत्था भिमहा सन्निसन्ना. आभियोगा जहा सुरियाभस्स, सुसरा घंटा, आभिओगियं देवं सदावेद, जाणविमाणं वष्णओ जाय उत्तरिलेणं निजाणमग्गेणं जोयणसयसाहस्सिएहिं बिग्गहेहि आगता जहा सरियामे. धम्मकहा समत्ता,तते णं सा बहुपुनिया देवी दाहिणं भुयं पसारेइ देवकुमाराणं अट्ठसय देवकुमारियाण य वामाओ भुयाओ अटुसयं तयाणंतरं च णं बहा दारगा य दारियाओ य डिभए य डिभियाओ य विउबद्द, नविहि जहा सूरियाभो उचदसित्ता पडिगते, भंतेत्ति भयवं गोयमे समर्ण भगवं महावीरं बंदइ नमसति० कूडागारसाला, बहुपुनियाए णं भंते ! देवीए सा दिशा देविड्ढी पुच्छा जाव अभिसमण्णागता', एवं खलु गो! नेणं कालेण० वाणारसी नाम नगरी, अंबसा गं भहस्स सुभहा नाम भारिया सुकुमाला बझा अवियाउरी जाणकोप्परमाता याविहात्था, नते गं तीस सुभदाए सत्यवाहीए अभया कयाइ पुवरनावरतकाले कुटुंबजागरियं० इमेयारू जाव संकप्पे समुप्पजिन्था एवं खलु अहं भद्देणं सन्धबाहेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरामि. नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं धन्नाओ णं ताओ अम्मगाओ सुलदे जाव णं तासिं अम्मगाणं मणुयजम्मजीवितफले जासिं मन्ने नियकुचिरसंभुयमाई यणदुद्धलुद्धगाई महुरसमुल्लावगाणि मंजुलमम्मणप्पजंपिनाणि थणमूलकक्सदेसभागं अभिसरमाणगाणि पण्हयंति, पुणो य सम्मणमजुलप्पभाणए, अहण अधण्णा अपुण्णा अकयपुष्णा एना एगमविन पत्ता आहय० जाय झियाइ, नेणं कारण सुजतात ण अज्ञातो इरियासमितातो भासासमिनातो एसणासमितानो आयाणभंडमननिक्खेवणासमितातो उचारपासवणखेलजइसिघाणपारिट्टावणियासमियातो मणगुनाओ वयगुनाओ कायगुत्ताओ गुनिदियाओ गुत्तभयारिणीओ चहुम्मुयाओ बहुपरिवारानो पुत्राणपुच्विं चरमाणीओ गामाणुगामं दूइज्जमाणीओ जेणेव वाणारसी नगरी तेणेव उवागयातो अहापडिरुवं उपगई उगिहिना संजमेणं नवसा-विहरति. तने णं तासि सुत्रयाणं अजाणं एगे संघाडए बाणारसीनगरीए उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे भहस्स सत्यवाहस्स गिहँ अणुपबिट्टे, तने णं सुभद्दा सत्यवाही नानो अजानो एजमाणीओ पासनि ना हट्ट खिप्पामेव आसणाओ अन्भुटेति ना सनट्ट पयाई अणुगच्छद ना बंदइ नमसह त्ता विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभित्ता एवं वयासी-एवं खलु अहं अजाओ ! भद्देणं सत्यवाहेणं सद्धि विउलाई ओगभोगाई भुंजमाणी विहरामि, नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं धन्नाओ णं ताओ अम्मगाओ जाव एनो एगमवि न पत्ता, नं नुम्भे अजाओ ! बहुणायातो बहुपढियातो पहूणि गामागरनगर जावसण्णिवेसाई आहिंडह बहूण राईसरतलवरजावसन्यवाहप्पभितीणं गिहाई अणुपावसह. धिस कति काहाच विजापओए वा मतप्पआए बा बमण वा विरयण वा चत्यिकम्म वा आसहवा भसजवा उबलन्दजण अहदारगवा दा। अम्हे णं देवाणुप्पिए ! समणीओ निग्गंधीओ ईरियासमियाओ जाच गुत्तभचारिणीओ. नो खलु कप्पति अम्हं एयम कण्णेहिचि णिसामिनए, किमंग पुण उद्दिसित्तए वा समायरिनए वा ?, अम्हे णं देवाणुप्पिए ! णवरं तब विचित्तं केवलिपण्णनं धम्म परिकहेमो, तने णं सुभद्दा सस्थवाही तासि अजाणं अंतिए धम्म सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा तातो अज्जातो तिक्सुनो वंदति नमसनि ना एवं पदासी सहहामि णं अजाओ! निग्गय पावयणं पत्तियामि रोएमिणे अजाओ निगंथीओ एवमेयं तहमेयं अवितहमेयं जाव सावगधम्म पडिक्जए. अहासुहं देवा० मा पडिबंध०. तने णं सा सुभद्दा सत्यवाही नासिं अजाणं अंतिए जाव पडिबजनि त्ता तातो अजानो बंदद नमसन ना पडिवि. सजनि, नते ण सुभदा सन्थवाही समणोवासिया जाया जाच विहरति. तते णं नीसे सुभदाए समणोवासियाए अण्णदा कदायि पुत्ररत्नावरत्तकाले कुटुंब• अपमेयारूचे जाव समुपजित्था-एवं खलु अहं भद्देणं सत्य विउलाई भोगभोगाई जाव विहरामि नो चेय णं अहं दारगं वा जाब बिहरामि नै सेयं खलु मम काई जाव जलंते भई सत्यवाहं आपुन्छिना सुबयाणं अजाणं अंनिए अन्जा भविना अगाराओ जाव पवइनए एवं संपेहेनि ना काले जेणेव भर सन्धवाह तणच उचागना करतल एवं वयासा-एक खअह दवाणप्पिया: तुभाहसाद बहूइ वासाइविउलाइ भाग जाच विहरााम, नाचवणदारग वादारिय वा पर समाणी सुवयाणं जाव पवइनए. नते ण से भदे सन्थवाहे सुभई सत्यवाहिं एवं वदासी मा णं तुम देवाणुप्पिया ! इदाणि मुंडा जाय पश्चयाहि. भुंजाहि नाव देवाणुप्पिए ! मए सद्धि बिउलाई भोगभोगाई, नतो पच्छा भुत्तभोई सुषयाणं अज्जार्ण जाव पश्याहि. नते णं सुभहा समणोवासिया भहस्स एयमहूँ ना आढानि ना परिजागनि दुबंपिनचंपि सुभद्दा समणा भई एवं वदासी-इच्छामि णं देवाणुप्पिया! नुम्भेहिं अभणुण्णाया समाणी जाय पञ्चइनए, तते णं से भरे स जाहे नो संचाएनि बहहिं आघवणाहि य एवं पन्नवणाहि सण्णवणाहिं विष्णवणाहि य आघवित्तए वा जाब विष्णवित्तए वा नाहे अकामते चेव सुभदाए निक्खमणं अणुमणिन्था. तते णं से भदे विउलं असणं० उपक्व डावेति. मित्तनातिः ततो पच्छा भोयणवेलाए जाच मित्ननानि सकारेनि सम्माणेति, सुभई सत्यवाहिं हायं जाव पायच्छित्तं सबालंकारविभूसिय पुरिससम्सवाहिणि सीयं दुव्हेति, ततो सा सुभहा मित्तनाइ जाव सदि ९०२ निरयावल्यायुपांगपंचकंक्रियाण मुनि दीपरत्नसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54 संपरिबुडा सञ्चिड्रिडीए जाच रवेणं वाणारसीनगरीए मझमज्झेणं जेणेव सुख्याणं अजाणं उवस्सए तेणेव उवा त्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीयं ठवेति, सुभदा सीयातो पच्चोहति, तते णं भदे सत्यवाहे सुभदं सत्थवाहिं पुरती काउं जेणेव मुवया अजा तेणेव उवां मुश्याओ अजाओ वंदति नमंसति ता एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सुभदा सत्यवाही ममं भारिया इट्टा कंता जाव मा णं वातिता पित्तिया सिंभिया सन्निवातिया विविहा रोयातका फुसंतु, एस णं देवाणुपिया! संसारभउधिग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता जाव पश्यति, एयं णं अहं देवाणुप्पियाणं सीसिणीभिक्ख दलयामि, पडिल्छंतु णं देवाणुप्पिया! सीसिणीमिक्ख, अहासुहं देवाणप्पिया ! मा पडिचंधं करेह, तने णं सा सुभद्दा सुवयाहिं अजाहिं एवं बुत्ता समाणी हट्टा० सयमेव आभरणमलालंकारं ओमुयइ त्ता सयमेव पंचमुट्टियं लोयं करेति त्ता जेणेव सुब्बयातो अजाओ तेणेव उवा०त्ता सुव्वयाओ अज्जाओ निकबुत्तो आयाहिणपयाहिणं बंदइ नमसइ त्ता एवं वदासी-आलिते णं भंते ! लोए पलिते णं भंते ! लोए. जहा देवाणंदा तहा पत्रइता जाव अज्जा जाया जाव गुत्तबंभयारिणी, तते णं सा सुभदा अज्जा अन्नदा कदायि बहुजणस्स | चेडरुवे समुच्छिता जाव अज्झोववण्णा अभंगणं च उबट्टणं च फासुयपाणं च अलत्तगं च कंकणाणि य अंजणं च वण्णगं च चुण्णगं च खेलगाणि य खजल्गाणि य खीरं च पुष्पाणि य गवेसति त्ता बहुजणस्स दारए य दारियाओ य कुमारे य कुमारियाओय डिभएप डिभियाओ य अप्पेगतियाओ अम्भंगेति अप्पे० उन्नति एवं अप्पे० फासुयपाणएणं व्हावेति अप्पेगइयाणं पाए स्यति अप्पे उड्ढेति अप्पे अच्छीणि अंजेति अप्पे उसुए करेति अप्पे० निलए करेनि अप्पे० दिगिदलए करेति अप्पे० पंतियाओ करेति अप्पे छिजाई करेति अप्पेगइए बन्नएणं समालभइ अप्पे० चुन्नएणं समालभइ अप्पे० खेडणगाई दलयति अप्पे० खजुङगाई दलयति अप्पे० खीरभोयर्ण भुंजावेति अप्पे पुष्फाई ओमयइ अप्पे पादेसु ठवेति अप्पे जंघासु करेइ एवं ऊरूम उच्छंगे कडीए पिढे उरसि खंघे सीसे अ करतलपुडेणं गहाय हलउलेमाणी २ आगायमाणी २ परिहायमाणी २ पुत्तपिवासं च धूयपिवासं च नत्तुयपिवासच ननुइपिवासं च पचणुब्भवमाणी विहरति, तते ण तातो सुखयातो अज्जाओ सुभई अज्ज एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिए! निग्गंधीओ ईरियासमियातो जाव गुत्तर्षभचारिणीओ नो खलु अम्हं कप्पति जातकम्म करित्तए, तुमं च णं देवाणु बहुजणस्स चेडगरूवे संमुच्छिया जाव अज्झोपवण्णा अभंगणं जाव ननुइपिवासं च पञ्चणुब्भवमाणी विहरसि, ते णं तुम देवाणुप्पिया ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पच्छित्तं पडिवजाहि, तते णं सा सुभद्दा अजा मुत्रयाणं अजाणं एयम8 नो आढाति नो परिजाणति, अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरति, तते णं तातो समणीओ निग्गंधीओ सुभदं अजं हीलेंति निदंति खिसंति गरहंति अभिक्खणं २ एयमद्वं निवारेंति, तए णं मुभहाए अजाए समणीहिं निरगंथीहिं हीलिजमाणीए जाव अभिक्खणं २ एयमर्ल्ड निवारिजमाणीए अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-जया णं अहं अगारवासं वसामि तया णं अहं अप्पवसा, जप्पभिई चणं अहं मुंडा भवित्ता आगाराओ अणगारियं पञ्चइता तप्पभिई चणं अहं परवसा, पुब्बिं च णं ममं समणीओ निग्गंधीओ आर्टेति परिजाणेति, इयाणि नो आढाइंति नो परिजाणंति, त सेयं खलु मे कालं जाव जलते सुब्बयाणं अजाणं अंनियाओ पडिनिक्खमित्ता पाडिएकं उपस्सयं उपसंपजित्ताणं विहरित्तए, एवं संपेहेति ता कार्ड जाव जलंते सुब्बयाणं अजाणं अंतियातो पडिनिक्समेति त्ता पाडियर्क उपस्सयं उपसंपजित्ताणं विहरति, तते णं सा सुभदा अजा अजाहि अणोहहिया अणिवारिता सच्छंदमती बहुजणस्स बेडरूये संमुच्छिता जाव अभंगणं च जाव नत्तिपिवासं च पचणुभवमाणी विहरति, तते णं सा सुभदा अज्जा पासत्था पासत्यविहारी एवं ओसण्णाकुसार संसना अहाछंदा अहाउंदविहारी बहई वासाई सामन्नएरियागं पाउणति त्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झुसेत्ता तीसं भत्ताई अणसणे छेदित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयप्पडिकंता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे बहुपुनियाविमाणे उबवायसभाए देवसयणिजसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेजभागमेत्ताए ओगाहणाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उबवण्णा, तेणं सा बहुपुत्तिया देवी अहुणोषवनमित्ता समाणी पंचविहाए पज्जत्तीए जाव भासामणपजत्तीएक, एवं खलु गो० बहुपुनियाए देवीए सा दिवा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागता, से केणडेणं भंते ! एवं वुचइ-बहुपुत्तिया देवी २१, गो! बहुपुत्तिया णं देवी जाहे २ सकस्स देविंदस्स देवरण्णो उपत्थाणियं करेइ ताहे २ चहवे दारए यदारियाओ य डिभए य डिभियातो य विउब्बइ ना जेणेव सके देविंदे देवराया तेणेव उवा ता सकस्स देविंदस्स देवरण्णो दिव्वं देविइिंढ दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभार्ग उबदसेति, से तेणद्वेणं गो०! एवं बुचति-बहुत्तिया देवी २. बहुपुत्तियाणं भंते! देवीणं केवइयं कालं ठिती पं०?, गो० चत्तारि पलिओवमाई ठिई पं०, बहुपुत्तिया णं भंते! देवी तातो देवलोगाओ आउक्खएणं ठितिक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उवषA जिहिनि?, गोडहेब जंचुहीवे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले विभेलसंनिवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पचायाहिति, ततेणं तीसे दारियाए अम्मापियरो एकारसमे दिवसे वितिकाते जाव बारसेहि दिवसेहि वितिकतहि अयमेंयावं नामधिज करंति-होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए नामधिज सोमा, तते णं सा सोमा उम्मुकचालभाषा विष्णतपरिणयमेत्ता जोवणगमणुपत्ता रुपेण य जोब्बणेण य लावणेण य उकिट्टा उकिट्ठसरीरा जाब भविस्सति, तते णं नं सोमं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कचालभायं विष्णयपरिणयमित्तं जोधणगमणुप्पत्तं पडिकुविएणं सुकेणं नियगस्स मायणिजस्स रट्टकूडस्स भारियताए दलयिस्सति, साणं तस्स भारिया भविस्सति इट्ठा कता जाव भंडकरंडगस माणा निहकेलाइव सुसंगोविया चेरपेलाइव सुसंपरिगहिना रयणकरंडगनोविच सुसारक्खिया सुसंगोविता मा णं सीयं जाच विविहा रोयातका फुसंतु, तने णं सा सोमा माहणी रहकूडेणं सदि बिउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी संवच्छरे २जुयलगं पयायमाणी सोन्टसहि संवच्छरेहि बत्तीस दारगरूवे पयाहिति. ननेणं सा सोमा माहणी नेहिं बहुहिं दारगेहि य दारियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहिं य डिभएहि य डिभियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेजएहि य अप्पे० Aथणपाएहि य अप्पे० पीहगपाएहि अपे० परंगणएहि अप्पे पकममाणेहि अप्पे० पक्खालणएहिं अप्पे० थर्ण मग्गमाणेहिं अप्पे० खीरं मग्गमाणेहि अप्पे० खिइणय मग्गमाणेहि अप्पे खजर्ग मम्गमाणेहि अपे० करं मग्ग माणेहिं पाणियं मग्गमाणेहिं हसमाणेहिं रुसमाणेहि अकोसमाणेहि हणमाणेहि चिप्पलायमाणेहि अणुगम्ममाणेहि रोवमाणेहिं कंदमाणेहिं विलचमाणेहिं कूवमाणेहिं उफूत्रमाणेहि निहायमाणेहि पयलायमाणेहि हदमाणेहिं बम९०३ निरयावल्याापांगपंचक, पुnिeur' मुनि दीपरत्नसागर 2 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माणेहिं छेरमाणेहिं मुत्तमाणेहिं मुत्तपुरीसत्रमियसुलित्तोबलित्ता मइलवसणपञ्चडा (दुब्बला) जाव असूई बीभच्छा परमदुग्गंधा नो संचाएड रडकूडेणं सद्धि बिउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए नते णं से सोमाए माहणीए अण्णया कयाइ पुञ्जरत्तात्ररत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरिथं जागरमाणीए अयमेयारूये जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं इमेहिं बहिं दारगेहि य जाव डिंभियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेनएहि य जात्र अप्पेगइएहिं मुत्तमाणेहिं दुजा एहिं दुज्जम्मएहिं हयविप्पयभमोहिं एगप्पहारपडिएहिं जेणं मुत्तपुरीसवमियसुलित्तोवलित्ता जाब परमदुभिगंधा नो संचाएमि रहकूडेण सद्धिं जाव भुंजमाणी विहरितए, तं धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव जीवियफले जाओ णं वंझाओ अवियाउरीओ जाणुकोप्परमायाओ सुरभिसुगंधगंधियाओ विउलाई माणूसगाई भोगभोगाई भुंजमाणीओ विहरंति, अहं णं अधन्ना अपुण्णा अकयपुण्णा नो संचाएमि रहकूडेण सद्धिं बिउलाई जाव विहरित्तए, नेणं कालेणं० सुइयाओ नाम अजाओ इंरियासमियाओ जावं बहुपरिवाराओ पुत्राणुपुत्रिं जेणेव विमेले संनिवेसे अहापडिरूवं ओग्गहं जाव विहरति, तते णं तासिं सुबयाणं अजाणं एगे संघाडए त्रिभेले सन्निवेसे उच्चनीय जाब अडमाणे रट्ठकूडस्स गिहं अणुपविट्टे, तते गं सा सोमा माहणी ताओ अज्जाओ एजमाणीओ पासति ता हट्ट - खिप्पामेव आसणाओ अब्भुदेति ता सत्तट्ट पयाई अणुगच्छति ता वंदइ नमसइ ता विउलेणं असण० पडिलाभित्ता एवं वयासी एवं खलु अहं अजाओ! रट्ठकूडेणं सद्धिं विउलाई जाव संवच्छरे २ जुगलं पयामि, सोलसहिं संचच्छरेहिं बत्तीसं दारगरूवे पयाया, तते णं अहं तेहिं बहिं दारएहि य जाव डिंभियाहि य अप्पेगतिएहिं उत्ताणसिलएहिं जाव मुत्तमाणेहिं दुज्जातेहिं जाव नो संचाएमि विहरित्तए, तमिच्छामि णं अज्जाओ अहं तुम्हं अंतिए धम्मं निसामित्तए, तते णं तातो अजातो सोमाते माहणीए विचित्तं केवलिपण्णत्तं धम्मं परिकति, तते णं सा सोमा माहणी तासिं अजाण अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टजावहियया तातो अज्जाओ बंदइ नमसइ ता एवं वयासी-सदहामि णं अजाओ! निग्गंधं पावयण जाव अभुमि णं अजातो निग्धं पावयणं एवमेयं अज्जातो! जाव से जहेयं तुच्भे वयह जं नवरं अजातो! रकूडं आपुच्छामि तने णं अहं देवाणुप्पियाणं अंनिए मुंडा जाव पश्यामि, अहासुहं देवाणुप्पिए! मा पडिबंधं तते णं सा सोमा माहणी तातो अज्जातो वंदइ० त्ता पडिविसज्जेति नते णं सा सोमा माहणी जेणेव रहकूड़े उपागता करतल एवं क्यासी एवं खलु मए देवाणुप्पिया! अजाणं अंतिए धम्मे निसंते सेऽविय णं धम्मे इच्छिते जाव अभिरुचिते, तते णं अहं देवाणुप्पिया! तुभेहिं अग्भणुन्नाया सुबयाणं अजाणं जाव पवइत्तए, तते गं से रट्टकडे सोमं माहणिं एवं वयासी मा णं तुमं देवाणुप्पिए! इदाणि मुंडा भवित्ता जाय पश्याहि, भुंजाहि ताव देवाणुप्पिए मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई ततो पच्छा भुत्तभोई मुइयाणं अजाणं अंतिए मुंडा जाव पश्याहि, नते णं सा सोमा माहणी रडकूडम्स एयमहं पडिमुणेति, तते णं सा सोमा माहणी व्हाया जाव सरीरा चेडियाचकवालपरिकिष्णा साओ गिहाओ पडिनिक्खमति ता बिभेलं संनिवेस मज्झमज्झेणं जेणेव सुखयाणं अजाणं उवस्साए नेणेव उवा ता सुयाओ अजाओ बंदइ नमसइ ना पज्जुवासइ, तते गं ताओ सुश्याओ अजाओ सोमाए माहणीए विचित्तं केवलिपण्णत्तं धम्मं परिकनि जहा जीवा बज्झति ० तते णं सा सोमा माहणी सुइयाणं अजाणं अंतिए जाब दुवालसविहं सावगधम्मं पडिवज्जइ ता सुव्वयाओ अज्जाओ बंदइ नमसइ ना जामेव दिसं पाउन्भूआ तामेव दिसं पडिगता, तने णं सा सोमा माहणी समणोत्रासिया जाया अभिगत जाव अप्पाणं भात्रेमाणी विहरति, तते णं ताओ सुच्वयाओं अजाओ अण्णदा कदाई विभेलाओ संनिवेसाओ पडिनिक्खमंति. चहिया जणवयविहारं विहरति तते र्ण ताओ सुब्बयाओ अजाओ अण्णदा कदापि पुत्राणु जाव विहरंति, तते णं सा सोमा माहणी इमीसे कहाए लट्टा समाणी हट्टा व्हाया तहेव निम्माया जाव वंदइ नमसइ त्ता धम्मं सोचा जाय नवरं रडकूडं आपुच्छामि तते णं पव्वयामि, अहासुहं तने णं सा सोमा माहणी सुवयं अज्जं वंदइ नमसइ ना मुबयाणं अंतियाओ पडिनिक्खमइत्ता जेणेव सए गिहे जेणेव रहकूडे तेणेव उवाः ता करतलपरिग्गहियं तहेव आपुच्छइ जाव पवइत्तए, अहामुहं देवाणुप्पिए मा परिबंधं तते णं रट्टकूडे चिउलं असणं तहेब जाव पुत्रभवे सुभद्दा जाव अज्जा जाता ईरियासमिता जाव गुत्तभयारिणी, तते णं सा सोमा अजा सुव्वयाणं अजाणं अंतिए सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई अहिजड़ ता बहूहि चउत्थछट्टट्टमदसमदुवालस जाव भावेमाणी बहूडं वासाई सामण्णपरियागं पाउणनि ता मासि याए संलेहणाए सहि भत्ता अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिकता समाहिपत्ता कालमासे कालं किचा सकस्स देविंदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उववजिहिति, तत्थ णं अत्येगइयाणं देवाणं दो सागरोत्रमाई ठिई पं० तत्व णं सोमम्सवि देवस्स दो सागरोत्रमा लिई पं० से णं भंते! सोमे देवे तातो देवलोगाओ आउक्खएणं जाव चयं चइत्ता कहिं गच्छहिति ? गो० महाविदेहे वासे जाव अंनं काहिति एवं खलु जंबू ! समणेणं जात्र संपत्तेर्ण अयमट्टे पं० । २६ ॥ बहुपुत्तिअज्झयणं १०-४ ॥ जड़ णं भंते! समणेण भगत्रया उस्खेत्रओ एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं रायगिहे नामं नगरे. गुणसिलए चेइए, लेणिए राया. सामी समोसरिने परिसा निम्गया. तेणं कालेर्णः पुण्णभ देवे सोहम्मे कप्पे पुण्णभद्दे विमाणे सभाए मुहम्माए पुष्णभहंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा सूरियाभो जात्र बत्तीसनिविहं नहविहिं उपसिता जामेव दिसि पाउन्भूते तामेव दिसि पडिगते. कूड़ागारसाला ०, भवच्छ एवं गो० नेणं काले इहेब जंबुद्दीचे भारहे वासे मणिवया नामं नगरी होत्था रिद्ध०. चंद्रोतारणे चेइए. तत्थ णं मणिवइयाए नगरीए पुण्णभहे नामं गाहावई परिवसति अइढे नेणं काले थेरा भगवंतो जातिसंपण्णा जाव जीवियासमरणभयविष्यमुक्का बहुस्सुया बहुपरियारा पुत्राणुपुच्चि जाब समोसढा, परिसा निम्गया, तने णं से पुण्णभडे गाहावई इमीसे कहाए लबट्टे समाणे हड जहा पण्णत्तीए गंगद्ने तहेब निगच्छड जाव निक्खतो जाब गुत्तभचारी, तते णं से पुण्णभहे अणगारे तहारुवाणं घेराणं भगवंताणं अंनिए सामाइयमादियाई एकारस अंगाई अहिजड़ ना बहूहिं चउत्थछडम जाच भाविता बहु वासाई सामण्णपरियागं पाउणति ना मासियाए संले. हणाए सट्टिं मत्ताई अणसणाए छेदिना आलोइयपडिकले समाहिपत्ते कालमासे कालं कि या सोहम्मे कप्पे पुष्णभदविमाणे उववातसभाने देवसयणिज्जंसि जाब भासामणपजनी ए. एवं खलु गो! पुण्णभ देणं देवेणं सा दिव्या देवी जाय अभिसमण्णागता. पुण्णभदस्स णं भंते! देवम्स केवइयं कालं ठिई पं० १. गो० दो सागरोवमाई ठिई पं. पुण्णभद्दे णं भंते! देवे तातो देवलोगानो जाव कहिं गच्छति ? गो० महाविदेहे वासे सिज्झिहिनि जाव अंनं काहिति एवं खलु जंबू ! समणेर्ण भगवता जाव संपत्ते निक्खेवओ। २७ ॥ पुण्णभहज्झयणं १६-५ ॥ जइ णं भंते! समणेर्ण भगवया जाव संपत्तेर्ण उक्खेवओ. एवं खल जंबू तेणं कालेणं० रायगिहे नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए (२२६) ९०४ निरयावल्याय॒पांगप॑त्रक, पुफिया" G मुनि दीपरत्नसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राया, सामी समोसरिने, नेर्ण कालेण माणिभहे देवे सभाए सहम्माए माणिमहंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुष्णभदो तहेव आगमण नविही. पुयभवपुच्छा मणिबई नगरी माणिभद्दे गाहावई घराणं अंतिए पयजा एकारस अंगाई अहिज्जति बहूई वासाइं परियानो मासिया सलेहणा सहि भनाई माणिभदे विमाणे देवत्ताए उपवानो, दो सागरोवमाई ठिई, महाविदेहे वासे सिग्झिहिति०, एवं खलु जंबू ! निक्खेवओ // माणिभद्दज्झयण 10.6 // एवं दत्ते सिवे पले अणाढिते सो जहा पुण्णभरे देवे, ससि दो सागरोवमाई ठिती, विमाणा देवसरिसनामा, पुत्रभवे दत्ते चंदणाणामए सिबे मिहिलाए पलो हस्थिणापुरे नगरे अणाढिते कार्कदिते चेहयाई जहा संगहणीए।२८॥ 3 वग्गो 7.10 // पुफिया समना १०॥आजम-२२→ श्रीपुष्फचूलिया जहणं भते! समणेणं भगवता उक्लेवओ जाव दस अज्हायणा पं00- सिरि हिरि घिति कित्तीओ बुदी लच्छी