Book Title: Aagam Manjusha 18 Uvangsuttam Mool 07 Jambuddivpannatti Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri Publisher: DeepratnasagarPage 54
________________ छेत्ता पत्तारि चुणिजाभाए एगमेगे मंडले अचाहाए पनि अभिवडेमाणे २ सबबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरइ, जंबुहीवे मंदरस्स पञ्चयस्स केवइयं अबाहाए सञ्चबाहिरे चंदमंडले पं०?, पणयालीसं जोअणसहस्साई तिणि यि तीसे जोअणसए अवाहाए सञ्चबाहिरए चंदमंडले ५०, जम्बुद्दीवे मन्दरस्स पञ्चयस्स केवइयं अवाहाए वाहिराणन्तरे चंदमंडले पं०१, गो०! पणयालीसं जोयणसहस्साई दोण्णि य तेणउए जोयणसए पणतीस च एगविभाए जोषणस्स एगदिठमार्गच सत्तहा छेत्ता तिण्णि चुण्णिाभाए अवाहाए वाहिराणन्तरे चंदमंडले ५०, जंचुडीवे दीवे मन्दरस्स पञ्चयस्स केवइयाए अथाहाए पाहिरतचे चंदमंडले ५०१, गो०! पणयालीसं जोयणसहस्साई दोणि Fय सत्तावणे जोयणसए णव य एगदिमागे जोयणस्स एगद्विभार्ग च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिाभाए अचाहाए चाहिस्तचे चंदमंडले ५०, एवं खलु एएणं उपाएणं पविसमाणे चंदे तयाणन्तराओ मंडलाओ तयाणतरं मंडल संक. |ममाणे २ छतीसं २ जोअणाई पणवीसं च एगसद्विभाए जोयणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णिाभाए एगमेगे मंडले अथाहाए बुद्धि णिदेमाणे २ सयभंतर मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ । १४७ । समभंतरे गंमत! चंवर्मडले फेवा आयामविक्खम्मेणं केवइ परिक्खेवर्ण पं०?, गो०! णवण उई जोयणसहस्साई उच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खम्भेणं तिषिण य जोयणसयसहस्साई पण्णरस य जोयणसहस्साई अउणाणउर्ति च 2जोयणाई किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवणं, अभ्भन्तराणंतरे सा चेव पुच्छा, गो०! णवणउई जोयणसहस्साई सत्त य वारसुत्तरे जोयणसए एगावणं च एगट्ठिभागे एगट्ठिभागं च सत्तहा छत्ता एग चुण्णिाभार्ग आयामविक्खम्भेणं प्रतिष्णि यजोयणसयसहस्साई पचर सहस्साई तिष्णि य एगणवीसे जोयणसए किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवेणं, अभंतस्तच्चेणं जावपं०१, मो०! णवणउई जोयणसहस्साई सत्तय पचासीए जोअणसए इगतालीसं च एगविभाए जोयणस्स एगद्विभार्ग च सत्तहा छेत्ता दोणि य चुण्णिाभाए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साई पण्णरस जोयणसहस्साई पंच य इगुणापण्णे जोयणसए किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवणं, एवं स्खलु एएर्ण उवाएणं णिस्वमधमाणे चंदे जाप संकममाणे २ बावत्तरि २ जोअणाई एगावणं च एगविभाए जोअणस्स एगविभागं च सत्तहा छेत्ता एगेच चुण्णिाभार्ग एगमेगे मंडले विक्खंभवृदि अभिवढेमाणे २ दो तीसाई जोयणसयाई परित्यत्रुदि अभि बढेमाणे २ सबबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ, सबबाहिरए णं भंते! चन्दमंडले केवइयं आयामविक्खम्भेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०१, मो० एगंजोयणसयसहस्सं छच सट्टे जोयणसए आयामविक्खम्मेणं तिण्णि जोयणसयसइस्साई अवारस सहस्साई तिमिय पण्णरसुत्तरे जोअणसए परिक्खेवणं, वाहिराणन्तरेण पुच्छा, गो०! एर्ग जोअणसयसहसं पत्र सत्तासीए जोयणसएणव य एगट्ठिभाए जोयणस्स एगट्ठिभार्ग च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिाभाए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साई अट्ठारस य सहस्साई पंचासीईच जोयणाई परिक्खेवेणं, वाहिरतचे णं भंते ! चन्दमंडले० पं०१, गो० एगं जोअणसयसहस्सं पंच य चउदसुत्तरे जोयणसए एगणवीसं च एगसहिभाए जोअणस्स एगद्विभार्ग च सत्तहा छेत्ता पंच चुण्णिाभाए आयामविकखम्भेणं तिणि य जोयणसयसहस्साई सत्तरस सहस्साई अट्ठयपणपणं जोअणसए परिकखेवेणं, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे चंदे जाव संकममाणे २ पावत्तरि जोअणाई एगावणं च एगढिमाए जोअणस्स एगद्विभार्ग च सत्तहा छेत्ता एगं चुण्णिाभार्ग एगमेगे मण्डले विक्सम्भवुद्धिं णिबुद्धेमाणे २ दो तीसाई जोअणसयाई परियवृद्धि णिवुद्देमाणे २ सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरह।१४८। जया णं भंते ! पन्चे समग्भन्तरमंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्ते केवइ खेत्तं गच्छइ?, गो०! पंच जोयणसहस्साइं तेवत्तरिंच जोयणाइं सत्तत्तरिंच चोआले भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहि य पणवीसेहिं सएहि छेत्ता, तया णं इहगयस्स मणुयस्स सीआलीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसएहिं एगवीसाए य सद्विभाएहिं जोयणस्स चन्दे चक्खुप्फासं हसमागच्छइ, जया णं भंते ! चन्दे अम्भन्तराणन्तरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं घरह जाय केवइज खेत्तं गच्छइ ?, गो ! पंच जायणसहस्साई सत्तत्तरिं च जोयणाई छत्तीसं च चोवत्तरे भागसए गच्छद मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं जाव छेत्ता, जया णं भंते! चन्दे अभंतरतचं मंडलं उवसंक. मित्ता चार घर तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइ खेतं गच्छह?, गो०! पंच जोयणसहस्साई असीईच जोयणाई तेरस य भागसहस्साई तिण्णि य एगणवीसे भागसए गच्छद मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता, एवं खलु एएणं उवाएणं जिक्सममाणे बन्दे तयाणन्तराओ जाव संकममाणे २ तिष्णि जोयणाई छण्णउई च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मंडले मुहुत्तगई अभिवढेमाणे २ सव्ववाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं मंते ! चंदे सबबाहिरं मंडलं a उपसंकमित्ता चारं घरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेतं गच्छद?, गो० पंच जोयणसहस्साई एगं च पणवीसं जोयणसर्य अउणत्तरिं च णउए भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं भागसहस्सेहिं सत्तहि य जाव छेत्ता, तया णं गयस्स मणसस्स एकतीसाए जोयणसहस्सेहिं अहहिय एगत्तीसेहिं जोयणसएहिं चंदे चक्सुफासं हवमागच्छइ, जया णं भंते! बाहिराणतरं पुच्छा, गो०! पंच जोयणसहस्साई एकवीसउत्तरं जोयणसय एकारस य सट्टे भागसहस्से गच्छड़ मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता, जया णं भंते ! बाहिरतचं पुच्छा, मो० पंच जोयणसहस्साई एर्ग च अट्ठारसुत्तरं जोयणसयं चोइस य पंचुत्तरे भागसए गच्छद मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहिं पणवीसेहिं सएहिं छेत्ता, एवं खलु एएणं उवाएणं जाव संकममाणे २ तिणि २ जोयणाई छण्णउतिं च पंचावणे भागसए एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिवुढेमाणे २ सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ । १४९। कइ णं भंते! णक्खत्तमंडला पं०१, गो! अट्ठ णक्खत्तमंडला पं०, जंयुदीवे केवइयं ओगाहित्ता केवइया णक्खत्तमंडला पं०?, गो० जंबुद्दीवे असीयं जोयणसयं ओगाहेत्ता एल्थ णं दो णक्खत्तमंडला पं०, लवणे णं समुद्दे केवइयं ओगाहेत्ता केवइया णक्खत्तमंडला पं०१, गो०! लवणे णं समुहे तिण्णि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता एत्य णं छ णक्खत्तमंडला पं०, एवामेव सपुत्रावरेणं जंबुद्दीवे लवणसमुदे य अट्ट णक्खत्तमंडला भवंतीतिमक्खायं, सबभंतराओ णं भंते! गक्खत्तमंडलाओ केवइयं अचाहाए सावाहिरए णक्वत्तमंडले पं०१, गो०! पंचदसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सप्तवाहिरए णक्खत्तमंडले पं०, णक्खत्तमंडलस्स णं भंते ! णक्खत्तमंडलस्स य एस णं केवइयं अचाहाए अंतरे पं०१, मो०! दो जोयणाई णक्ख. समंडलस्स य णक्खत्तमंडलस्स य अचाहाए अंतरे पं०, णक्खत्तमंडले णं भंते ! केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं चाहल्लेणं पं०?, गो०! गाउयं आयामविक्रमेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्लेवेणं अगाउयं ८८७ जम्बूढीपपज्ञप्तिः रो -3 मुनि दीपरत्नसागरPage Navigation
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