Book Title: Aagam Manjusha 12 Uvangsuttam Mool 01 Uvavaaiam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 19
________________ ट्ठिया। इह बोदि चहत्ताणं, तत्थ गंतूण सिनह ॥१०॥जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयंमि। आसी य पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्स // 11 // दीहं वा हस्सं वा जंचरि. मभवे हवेज संठाणं / तत्तो तिभागहीणं सिद्धाणोगाहणा भणिया // 12 // तिगिण सया तेत्तीसा धणूतिभागो य होइ चोदया। एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया // 13 // चनारि य स्यणीओ रयणि तिभागृणिया य बोडधा। एसा खलु सिद्धार्थ मज्झिम ओगाहणा मणिया॥१४॥एका य होइ रयणी साहीया अंगुलाई अहमवे। एसा खलु सिद्धाणं जहण्ण ओ. गाहणा भणिया॥१५॥ ओगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होन्ति परिहीणा। संठाणमणित्यंथं जरामरणविप्पमुक्काणं // 16 // जत्थ य एगो सिदो तत्थ अणंता भवस्वयविमुक्का / अण्णोऽपणसमवगाढा पुट्ठा सधे य लोगते॥१७॥ फुसइ अणते सिद्ध सबपएसेहिं णियमसो सिद्धो। तेवि असंखेजगुणा देसपएसेहि जे पुट्टा // 18 // असरीरा जीवघणा उवउत्ता सणे य णाणे य। सागारमणागारं लक्षणमेयं तु सिद्धाणं // 19 // केवलणाणुवउत्ता जाणंती सवभावगुणभावे। पासंति सवओ खलु केवलदिट्टीहऽणताहि ॥२०॥णचि अस्थि माणुसाणं तं सोक्वं णविय सञ्चदेवाणं / जं सिद्धाणं सोक्खं अबावाहं उवगयाणं // 21 // जं देवाणं सोक्खं सबदापिडियं अणंतगुणं / ण य पावइ मुत्तिमुहं णताहि वग्गवम्गृहि // 22 // सिद्धस्स हो रासी सवद्यापिडिआ जइहवजा। साऽणतवग्गभइआसवागासणमाएजा // 23 // जहणाम काइमिच्छा नगरगुण बहुविह वियाणता। नचएइ परिकहउ उबमाएताह असताए॥२४॥ इय सिद्धाणं सोक्खं अणोवमं णत्थि तस्स ओवम्म। किंचि विसेसेणेत्तो ओवम्ममिणं सुणह वोच्छं॥२५॥जह सबकामगुणियं पुरिसो भोत्तूण भोयणं कोई। तण्हाहाविमुक्को अच्छेज जहा अमियतित्तो // 26 // इय सबकालतित्ता अतुलं निवाणमुवगया सिद्धा / सासयमबाबाह चिट्ठति सुही सुहं पत्ता // 27 // सिद्धत्तिय बुद्धत्तिय पारगयत्तिय परंपरगयत्ति। उम्मुक्कक - म्मकवया अजरा अमरा असंगा य // 28 // णिच्छिण्णसव्वदुक्खा जाइजरामरणवंधणविमुक्का। अवाबाहं सुक्खं अणुहोती सासयं सिद्धा॥२९॥अतुलसुहसागरगया अचाबाहं अणोवमं पत्ता। सबमणागयमद्ध चिटुंति सुही सुहं पत्ता॥३०॥२२उववाइउवंग संमत्तं औपपातिकोपांगं१शिलायामुत्कीर्ण श्रीसिदाद्रितलहट्टिकागतश्रीवर्धमानजैनागममंदिरे वीरविभोः२४६८ PASSET-42

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