Book Title: Aagam 44 Nandisutra Choorni
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 69
________________ आगम “नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (चूर्णि:) ..मूलं १९] / गाथा ||८६-९०|| ... (४४) प्रत सूत्रांक 5-0८७-२४९) इमेते वह बुद्धिगुणा 'सुस्वसइ०' गाथा (*८८-२४९) विणेयरस अत्यसवणे इमा विही 'मयं हुंकार' गाम०४९-२४९) द्वादशांगानन्दाचूणाला गुरुणो अणुयोगकरणे इमा विही सुत्तस्थो खलु' गाहा (१९०-२४९) 'जं नु भणियमूर्ण वा अतिरितं बावि अहव विवरीयं । तं सम्मशुयोग-लाना ॥६॥ धरा कहेस काउ समक्खंति ॥१॥ गिरेणगामेत्तमहासहा जिवा, पसूयती संख जगट्ठिताकुला । कमविता बीमत चिंतितक्यारा फुलंबई विराधना फलं 18 तमिधाणबमुख्य ॥१॥ सकराजतो पंचसु वर्षशतेषु नंद्यध्ययनपूर्णी समाप्ता इति ॥ प्रन्यानं ॥ १५०० ॥ [५९] गाथा ||८६ कलम " इति श्रीनन्द्यध्ययनचूर्णिः समाप्ता। ॥६ ॥ दीप अनुक्रम [१५८ १६३] मुनिश्री दीपरत्नसागरेण पुन: संपादिता (आगमसूत्र ४४) "नन्दीसूत्र-चूर्णि:” परिसमाप्ता: ~69~

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