Book Title: Aagam 01 ACHAR Choorni
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम (०१)
“आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [२], चूडा [१], अध्ययन[२], उद्देशक [२], नियुक्ति: [३०४...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक ७२-८६]
शय्याध्य
प्रत वृत्यक [७२८६]
श्रीआचा
| बरिसारने धूवेणं, साहुणो ण हायंति, मोयसमा० वियरंति तेण तेसिं सो गंधो पडिकूलो, पुब्बकम्मति निहत्थाणं पुन्चकम्म || रांग सूत्र- TAI उच्छोलणा तं चा पच्छा पब्बला, समाउट्टा होति, तत्थ बाउसदोसा, अहण करेति तो उड्डाहो, अहवा ताई एवं एए जेमणमाइओ || यनं उ०२ चूर्णिः
| पच्छा, संजय उवरोहो मुत्तत्थाणं, उसूरेणं वा पछिमाए पोरिसीए जमिताइओ, ताहे संज्याणं पाढवाघातोति पदे चेव जिमिताई, ॥३४९॥ M. उवखटणावि एवं, प्रत्यागते उसकणं, उसकणदोसा, मिक्खुप्पडियाए वा बहुमाणा करेज वाण वा, अह भिकाबु. आताणमेतं
| मिक्खुस्स, अप्पणो उबक्खडिजा, तत्थ भुंजेज वा पीतिअिदावि, पट्ठि नए एमि चक्खुपहे अच्छति, ताहे सीदति गिदंते संजमविराहणा, अणेगरूबाई मिचं पुढालिताणि, दारुणा परिणायं परियणं अभिजाणणं वा, वियट्टित्तए अदरे, तप्पति संजमविरा-11 | इणा, से भिक्खू वा भिक्खुणी कवाडं तदेव संधि चरति तस्संधीचारि, तं घरं उम्भक हिं कतं, खेतं अलभमागगा बाहिर
छिई मग्गति, साह णिग्गतो, संधी णाम अंतरे छिई, तेणं उडयं पवि सिजा, आयुधहत्वगतो०, मिक्खु नो कप्पति अयं तेणे | | पवसिति वा ण या पविसति, उपल्लयति टुकति व्रजति रुस्सति, साहू भगति-तेणं हडंति अमुतेण हर्ड ?, ताहे साहू भणति-अण्णेण
हडं, पा तेण, एवं साहू चेव भणति, तस्स अमुगस्स ठवियगं हटं, ताणि वा भणंति-अमुगस्स टविपगं इडं ?, ताहे साहू भणति | सो-तस्स अबस्स हई, सो वा साहू किंचि दरिसेति अयं उवचरए, उवचरओ णाम तारिओ, नाणि वा साहुं चेव भणति-अयं तेणे अयं उवचरिये, अयं एत्थ अकासी चरियं, आसि वा एत्थ, सम्भावे कहिए चोराओ भयं, तुहिके एवंगिरा अतेणगमिति संक्रति, एते सागारिए भवे दोसा। से भिक्खू वा भिक्षुणी वा तणपुंजेसु जा गिहाणं उपरितना कया, पलालं वा मंडपस्स उवरिं, हेट्ठा भूमी रमणिआ, संडेहि णो ठाणं चेतिजा, अपंडेहिं चेतिजा । से आगंतारे सु वा आरामागारेसु वा साह मासं अच्छिततो अह ॥३४९॥
दीप अनुक्रम ४०६
४२०]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] "आचार" जिनदासगणि विहिता चूर्णि:
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