Book Title: Aachar Sara
Author(s): Indralal Shastri, Manoharlal Shastri
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

Previous | Next

Page 106
________________ Garamirmirmirmwaran, निवेदन। Esernahhhhhhhhhhhhhhnnnes ई इस ग्रन्थमालाकी सहायता करना प्रत्येक धर्मात्माक / है / यह केवल प्राचीन जैनसाहित्यके उद्धारके लिए प्रकाशित 1 की जाती है / प्रत्येक ग्रन्थका मूल्य ठीक लागर के बराबर रक्खा जाता है। इसके प्रत्येक ग्रन्थकी दश दश पाँच पाँच { प्रतियाँ खरीदकर विद्वानोंको, पुस्तकालयोंको, जैनमन्दिरोंको ई धर्मार्थ देना चाहिए। प्रभावनाके लिए इससे अच्छा काम और नहीं हो सकता / ग्रन्थमालाके किसी ग्रन्थकी कमसे कम ई 250 प्रतियाँ लेनेवालोंका फोटू उस ग्रन्थकी तमाम प्रतियोंमें लगवा दिया जाता है। निवेदक नाथूराम प्रेमी, मंत्री माणिकचन्दजैनग्रन्थमाला समिति, हीराबाग, बम्बई। है magmanomame srohrhahnarangan &ormansamannahramones Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 104 105 106