Book Title: $JES 901 Jainism and Spiritual Awakening E9
Author(s): JAINA Education Committee
Publisher: JAINA Education Committee

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Page 127
________________ 23 - AHIMSA QUOTES FROM SAMAN SUTTAM 23 - Ahimsa Quotes from Saman Suttam अत्ता चेव अहिंसा, अत्ता हिंसति णिच्छओ समए। जो होदि अप्पमत्तो, अहिंसगो हिंसगो इदरो।।११।। - भगवती-आराधना 803 आत्मा ही अहिंसा है और आत्मा ही हिंसा है -- यह सिद्धान्त का निश्चय है। जो अप्रमत्त है वह अहिंसक है और जो प्रमत्त है वह हिंसक है। As per the scriptures the self is both violent and non-violent. He who is very aware of his thoughts and action is non-violent and he who is careless is violent. जं जं समयं जीवो आविसइ जेण जेण भावेण। सो तंमि तंमि समए, सुहासुहं बंधए कम्म।।२।। - उपदेशमाला 24 जिस समय जीव जैसे भाव करता है, वह उस समय वैसे ही शुभअशुभ कर्मों का बन्ध करता है। Whenever a soul reflects on pious and non-pious thoughts at that very time it gets bound by corresponding good or evil karmas. अज्झवसिएण बंधो, सत्ते मारेज्ज मा थ मारेज्ज। एसो बंधसमासो, जीवाणं णिच्छयणयस्स।।८।। - जयधवला 1/4/94 हिंसा करने के अध्यवसाय से ही कर्म का बंध होता है, फिर कोई जीव मरे या न मरे। निश्चयनय के अनुसार संक्षेप में जीवों के कर्मबंध का यही स्वरूप है। The intention of killing is the cause of the bondage of Karma, whether you actually kill or not. In a true sense, this is the nature of the bondage of Karma. 126 JAINISM AND SPIRITUAL AWAKENING

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