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विकaai मिध्यावाद की तत्रज्ञान विकला एव जन लोक ते 5 विजाए। कहतीजीए नांदो दिला। मिध्यादृष्टी बीजा जीवस्वरूपसम्पकन जो तहली हवा जीवनातली वि षकविविमयाची कायरूप पुढविसंसिए। पृघकाय श्रावर्तमान सी पर जलम् कायरूप | जलग|| पापीनी निश्श्राश्वर्तमानसा सेवाला दिक वनस्पति। काय पुणजाणिवा तालिवा युरावनस्पतिगणाबाद वनस्पतीन उसम दाय। वदना निश्राश्वर्तमानस एवान्म यतममिवान वनस्पतिरुप तद्यान जि विहनीया निश्का ऊपना तत्र सजीव तयाहार कदतीने हज पृष्यादिकजेहन इंचाधारब शाघवातिहजी नदना दारब। तमतिदन पर परिणाम्पावगंधरसस्परिजदवाबों दिकहतीशरारते वाजीरकुम जिन दृष्टिनाव १. वकासक हिता दृष्टिगोचरा हवाच सकाईया जीवनिकेतला सवे कहती असू ख्याता ते घास्वा वरनामक मनिशवेद ईस्त्रावर काश्या जीवात केहवा सूक्ष्मतमाबाद रस्त्रक्ष्मतेज व जदरा