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________________ नमादिव्यापी रह्या बादराजमो टा हष्टि गम्यता वस्त्रावर कायम दिवनस्पती नर ऋधिकारि कब प्रत्येकशरारे दवन जेहना माब निंबादिकातना साधारा। पवनामकर्मम जिदन प्रतिएका रिअनंताजीव सूरया कंदा दिकत के तला तिकहतीतील प कहानी जेसा धारावनस्पतिकायतिदां अनंतजीव बीजापांचस्वावरतेदमं माताजी वजाणिवा एतला जीवन विजय परिजाए। जय जेजीवन दाई बई। तेघा वस्त्रसजीवके दवाब विजायकद ताजाता ज्ञानपणाघकी एकेंद्रि यजीवातघापरिजा पाने कहता जागता बेडिया दिवसाचा परिजाने कहतीसुखडः।। लवता सजीव व्यक्त संज्ञा सुखड खमनुलवता जाणिवा पहवाजी वनह बस श्महिं विविदेदिका रश हिं किंत करिसमा रकरणी वाविविपि रसरातलागवितिवति । खातिया रामविहार धूल पागारदारागार हाल गवरिय सेव संक मया साय विकप्पलघर सरावणवतियदेवकुला विनस लावायला सत्र तिका शह
SR No.650035
Book TitlePrashna Vyakarana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages518
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size218 MB
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