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________________ घवानाला लारविषय अध्वायंघ तिरण नगवंतन इकदही इमान तमादा सन्माना लगवाक हिवारे नऊवा वीरनई रइकाज तन नीच दर्शनश "वर्षाकालजिहावासरि व मिठास रणमल्ल वा घ्ष्णत स्म गलगवंतस्त्ररणा एवं जव निएम लगवं वामा हव जात सवा सतियाली उमान वरजी अथवा उन्हालाना लानाओ ग्रामरइविषइतियां नगर ई विषशपाचरात वसो लश्बे दडूबावन ॥ अधवाकारउपकारक एकरा जिएका दोरा जिरहर टालीकरी मास सीया मास मासमाहे- रदेशश ये इवदनि, भुजइतिहांबि रणरइविषइ राग द्वेषर वासवद्ययगिम, हेमंतिएमासे । गामे एगरा तिये। एपगार पंचरा तिवासी चंद्रणममा दितपणा होती परिसरी घर मा मणिरतन मात्रामा बेवेये सारी बनम इहलोक पर लो करइ विषइति कलमनयर बी पदन मुवरिगामार दन अन मुषयेदनइ एक पासमतिणमणि लघुकं च र समरक मुद्रा इाला गपरला गाप्प बंधवा ठारहितजीवितव्यान इमर रई विधवा बार हितचा उगतिरूप संमान पारिगामीच्या व कर्मसमुहन निर्धा पारिवहन निवानइ बेदिया ना डिबाघाजी वियमर शिव कारका संसार दरगामी कम्मा संघ निग्धायणद्वार वितरणी उच्च उमावधा "वली विहीर करइति णित अनुप्रसर्वे तमश्परा क्रमिव। यमन संबंधिएकरी सर्वे शर्मव्या दि नलय क भगवंतन || कचिन्पानेक शुद्धिएवं च विहरत स्म नगवंत साठा गुंजार यांनी रियां श्रणुत्रारणा सर्वेनिमिच सुदर्शन वा दर्शनममकि मुतिरणि मनमन्त्री परहित बस तक सामा संयुक्त रणदीस समांतरेण परिणीयंत्रालयो। खुल लवरदेवा Adelawat and stute sininete ५४
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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