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________________ Internatceal कालो नावही सचित्रतत्र चित्त वस्तु मिश्रर विषयरविष होती अथवा नगर अध ती तीपनिबंध प्रतिबंध नहीं. ग्रामर विषइ र विष लवानासीत्रा चित्रभी से (सुदायसुत्री मामा गारवा अस मात्र विषइखलारशव घर वा वाखका काल समरविषयावलीर अथवा विषई। रइविषइ सघदेसरकर होता श्रमवारिवात्रवा खालवा | घारवा अंगण वारिणाहवा कलिनास भएवा॥ यावलिय इविषइ अधवा स्वामा स्वासर इविषइ अधव अध वालवर विषमुनिवि षड् । श्रवात्र हो रा जिरवि मोकर विषद अधवाष्पणरइविषर वाष्प र विष‍ या वारणा पारवा । घोववारिवरण वालि विवा मुक्ति वा हारते वारिवा अथवामासरह वानर इविष वरसरइ विषय अधवा तेरे अथवा दीर्घ का विघाणा का लाइसया विषप्रधवा कर विषद अघवा। मिरर विष अघवा मासे वा । उऊ वा । श्रय वा । सं वचार वा समय र वादी हकाल से डावा ला नावो को धरइविष अधवा मानर मायार अघवालाल जय रविषई हाम्पर प्रेमर अघवाद्वेषर สไล इ विवधवा विषई र३विषश्शश्रथवा अथवा रविष विष‍ • विवर को हवा | मारवा मायायला लिवाल एवा हासे वाद्य वादा सेवा क अथवा कल अघ बाक लंकादवा पुरजनाई करिवार परायाश्रववावा असंतोष अधवा मायामदित हरविषइ र विष॥ श्रघता विषशअथवा दकहवार विष रविव मृषारविष लावा शरकारण वापरावा परिपर वाएवारिइर श्वा । माया मो सेवा 'सतोषर विषद्वार सातवा मामेएक शपा सति प्राणेषक घोवकद शमा तेघावे एकलव विश्
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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