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________________ चंदराम देवान से ४२ प्रति गुनसोला स. लिमुदीन (तीविनयी दवाई ऐरीति सुस०रासमे मनिरासनो राज्य किदा सुसाम्यकिदांकी का डा नल गवराय सुनिनी शक्तिकी की तलवार सुरु निलगातां बजध्या ज्योति सरतार समालवि यो सुरुतिमनिषि सुयल निशान मास सु. ४ स. उमराहचालानगरी की कसं सीम स. विमल रामुमो केशारुएिवं समीय सुन्य स विदो को ईनरवरण तो मो विश्वेद माग्यो एवेशेा जं को उन स्पोटस उमकशने मुमसुमन मे अंतररनीदास सु. एबिजां दिवि जेसे कि एमोडलिंगदास सुसह अनुमानधीच सुपलनी सायरति सः सुमनशेशानी से छोटा करीति सुसु प्रोनील सुसाची सदेव शक्ती कशाचे त्या सुप्री निविस्मयधई वि निसुलीनिसा संबंध दिला दिया Jain Education Inters क स्वामी स्वा० शिवसेवकाएक सुदाद दे०सु० सीओ गो रखले देत निडान्यातला सर्व पाचावा १२ सयदरीखाशिक शिवमूढ तिधीट सु १३ सोहर दिपावली एक ज्ञातिय सुकसुरे मुई तो अनतला सो. विवेक र वाली शिवदर्गा स्कं सादादिनायो । ज्ञा ० स० क ४२
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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