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________________ 03 श्रनिराऊ विद्यारिना यति लेई वारमत्तानासने कल्पनारे बाईवकास देविद्यामुधी ददि लिएको या माता करे तो विधन विलय १५ मिना दरशील मानिने सापि स्वायवित्र पेचमेगलदीवो करी तलाशना कगर चार सन् २४ मादर्श विद्याघ्रावली नृयली तिमनयनविमान निलगाई रातो करोडपाल गिधाईज्ञातिस करनी के वा फरसर सुनवार र सद विफरेव स्वार स०१६ बाईकने सलगा दीवार विद्याधरवचनेत्रमे पली नागमी राति स श्रमममश के बगावाने गयो विद्या भरनिगेद स एत्रानी रखनीना रामति में कीकास मोहनेाजबादीसमी कबी मनोदरवाजे कध्वास सर हा वेदकदर निसुंग एक ह्या साचो इनारीयतिब नातेदार कारपि कारणे सुकत करेविशेष प्रसति एदातीतली बड रामदेव सुतधामा तादितधरे यतितक्तिनारि साधाकाईते हमें बैंअगस्तितिव्यवदार मुकारिनगरा कर हेनरीति तलाक का करी अममशाचीप्रीत ४ कडे केमशकिव्हा मोग्यावचनविराम आज न तो वायसोस्योम आसूरासरमोनदा मु महनार तो सायश्यांशज दिनकरवमेश्वरमपिनियन करेंवर सार व्योमालवानो नोपलदेने सार हाल सारी वसंतदार ऐदेश ॥ सरखारी वेदक rary.org
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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