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________________ म सु ढीलकरेंइमकोट सुर४ तोडसामग्रीदोनंदी दा० सहीतीने दो की सुज्ञातिज्ञलीक्तर ॐ नोकरी करते समासाद सुयनमेदेवं व्यरे तो मिस सवाद र क सुननी सुंयमी सून विट किमा करे टिएस स निममेवनमंडले मान विमलरा दी सु. तमच्यागलिं वसु सासवलत बस से कोसीमा दारा सुरुवात मनावानी नही विश्वाला सुसरे राणी राजाकडे तीक से दास सुन्ने दराच वीसवास सु. २० स० रंग स्ली रासत के बनि गेद सुरु मी मिलान बजाने पर सजेवी सेंटालिक मोबास निर्माकील वेदनारदप्रकास सुर इति श्रवखिशक्षत वेद सिंह या २ ताकापी हात्मिकानराल गिमनका चितिः कला तिऽ द्वितीयोध्लासः सहली २ वरतीय वास तेरा अविनासीका सीधांशिवता सादरितेग स्वर्गनीवासीदा | सासनमाया सनिरोग रविदाकार विज्ञानयन विदाने इय बिदाला सकस की वेंची ले कीय अदानिदनिविमानप्रति दर्शन दर्शननदो वेदनिय रोगान बरबालमति स्वदिविधास तिहादर्शन दर्शन महिने दर्शनाला अजितलगीग स्वार telibrary.org
SR No.650028
Book TitleChandraras Patra
Original Sutra AuthorMohanvijay
AuthorKesharvijay
PublisherYakruli
Publication Year1760
Total Pages208
LanguageMarugurjar
ClassificationManuscript
File Size97 MB
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