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________________ ए [AD [तु माता पिता दिकस्रजनन पत्र कारक गुहा विषचालत पासति सहवासमा ताकेता दंडाधिदंड कर दंड 500 (मादेडकर का जनाजार 499 मेला गरिहाला नदिए नात परजीवन हितकार पडे सिला सिपालाकन निहित संजलाएगा का हत्पताकिन विमास प्रवृत्त्रिकरणं विद्धि मंसिया चित्तवतिर घाड बाकी ष्टिमांस कहाशक्ति प्रकाशिताराम हाडना करात्रि मित्रादाननिमित्र सति साधपापकर्म या दि तपाई क्रियाशनका संरक्रिया स्वानमायाप्रायिक की मतिजाक सवति तदगार रस से सातवे मारणखमालवं ततदप्पार रिसडा दंड पासी दंडगुदंड का साला खिलाएं सिजाप पिहिमं सियासर्व तिगवतस्तम्पत्तियस विनिश्रदितिदिमाम कि दिया हा नाद मन्त्रिएति श्रादिदावाराकास [म कि निया शरण मायावत्तिपनि आदि निधन शवंत गुडाया तामाका सिया | पत्रालयापचय प्रांतियायरियातिसंता गारियाई लामो विपदा हामतिमा ति मंत्रा परिक यह मारके तिसा हाणामाकशिसा श्रोतासान ते सत्र एपासणी दर तिम कवी/गुदायाला का पार गांगिना प्रमुखात नानाप्रकार ट्रेक ला कनविश्वास ऊपजावा नई वेचतामा का सिया रिचा की बानी किया करगडनी घोष की या श्रापण पायगुरु पर्वको श्रापणानाटिकरीमा न तचाथरिया निसंतान प्रायदऊपना तालानगर पाली परनवेववाणी चादनी साथ विपणिबालकल्पित नियर इंजीला घरबाल महासं चारि सा श्रात श्रमदानखानरी परिसाधनाचा रिमान श्राश्रा से श्रीजादिक नागरतिमा या खान से निंनादिक कहा कि एक दिवानषि के लिए चानरु 253 21
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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