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________________ नईद श्रान साकान पान इंड घालत तथ्य त्रियंण्मान निमित्र/सान के निर्ममकानदारानामाद्या मित्रादाए प्रत्पथिक की सजा पर म० जिमाकाई एकर जाता पितालाई विनिता यदि किस सिगा पतला मेघादिस नत सिंकात् मातापितादिकनाम यसि श्रनर किक सि जिम किएटा प्रकारिना राई सिए / अपराध वचनन करा चचनता काया कर दाधयगादिसंघ की कसयामास दंडे मा उदंड चित्रतिकर ऊगात कही उद्गवियर्ड सतिशीतलकायत पराधीन रीलिज्ञातव पायाचिसचति एवं स्वतस्तमनियमावत आदि पिचाम कि दिया है। मात्रिपाि श्राचारदाशकिनिया हा मित्रादाम त्रित्रिश्रदिति हाणामा कितिषु शिसप्री हिंवा पिता दिवा साईदिना गुदवाना दिवाभूयादिवानदिवा मुष्टादिना सहिमा तिमि यसश्रदानसराई सियाम वंगकडे विनिय इंसिया कार्यशालानतिमिराणादर्गा वयाडवा कार्यउ सिंचितालवति गणिकाए एका नवनिताचा ama याचा कासवाला वाला कि चालिाग वा कार्य श्रा उडिन्ना । श्रगणिकाए सालिन अवालदारा मसिरियामा श्रीकरी कार्याविति व्याडि करीता तिला हिकरी का ये करीना कनाडाई करी तालवतिकाचाघाएं। टोडरकरी | हाडिक श्राम डिनावं ति० गटारात पारिजात मानकर वारी करी जानकरी श्राशाका दिकनी लताकरी प्रसाधी नापा संग उद्धा की माणिक काल एवा०ला जननवडक कायराना का दंडन करणारा एक ठोस ना कोणाल
SR No.650027
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLalchand
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1645
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size88 MB
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